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अजमेर दरगाह प्रमुख का बड़ा बयान: ‘यहां जितनी हिंदू आबादी है, वो…’ मोहन भागवत को किया याद
अजमेर: राजस्थान के प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने हाल ही में दरगाह के भीतर स्थित शिव मंदिर पर चल रहे विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी अदालत जा सकता है, लेकिन अदालत में सुनवाई और सबूतों के बाद ही कोई फैसला किया जा सकता है। उनके अनुसार, कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसे विवाद उठाते हैं।
मोहन भागवत और संभल मामले का उल्लेख
इस विवाद पर चर्चा करते हुए सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का भी उल्लेख किया। उन्होंने मोहन भागवत के उस बयान को याद किया, जिसमें उन्होंने मस्जिदों में शिव मंदिर ढूंढने पर सवाल उठाया था। खान साहब ने संभल में हुई हिंसा का उदाहरण देते हुए कहा कि उस घटना के परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हुई और दो परिवारों के कमाने वाले सदस्य भी मारे गए। उनका कहना था कि इस घटना से कोई अच्छा परिणाम नहीं निकला।
चादर भेजने की परंपरा
खान साहब ने बताया कि 1947 से लेकर अब तक, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों, और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों की तरफ से दरगाह में चादर भेजी जाती रही है। उन्होंने खासतौर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम लिया और कहा कि उनकी तरफ से भी यहां चादर भेजी जाती है।
हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश
सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने बताया कि अजमेर दरगाह के आसपास की हिंदू आबादी की रोजमर्रा की जिंदगी में दरगाह का अहम स्थान है। उन्होंने कहा, “यहां जितनी हिंदू आबादी है, वे रोज सुबह अपनी दुकान खोलने से पहले दरगाह के पास से गुजरते हैं और अपनी दुकानों की चाबी दरगाह की सीढ़ियों पर रखते हैं। महिलाएं अपने बच्चों को दरगाह के पास खड़ा करती हैं ताकि नमाज पढ़ने के बाद लोग बच्चों पर फूंक मारकर उनकी बीमारियों को ठीक कर सकें।”
इस बयान के जरिए दरगाह प्रमुख ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की और यह संदेश दिया कि दरगाह सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान है।
इस बयान के बाद से इस मुद्दे पर नए सिरे से चर्चाएं शुरू हो गई हैं, खासकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग के संदर्भ में।