अद्भुत है भगवान श्री कृष्णा और उनकी लीलाएं : आसाराम शास्त्री
पंचकूला 25 अगस्त (संदीप सैनी) आज जन्माष्टमी के पावन अवसर पर श्री आसाराम शास्त्री नेअपने मुखारविंद से भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाओं की ज्ञान रूपी गंगा का गुणगान करते हैं। पंडित आशाराम शास्त्री जी ने कृष्ण जन्माष्टमी के पावन उत्सव पर भगवान श्री कृष्ण के जन्म व उनकी लीलाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है तथा इस बार यह तिथि 26 अगस्त को पड़ रही है पंडित दिनेश शास्त्री, पंडित श्री श्रवण कुमार शास्त्री व आशाराम शास्त्री जी ने बताया कि सेक्टर 26 श्री सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान की बाल लीलाओं की झांकियां की अद्भुत प्रस्तुति होगी व बच्चों व महिलाओं द्वारा कृष्ण के जन्म उत्सव पर नृत्य किया जाएगा। रात्रि 12:00 बजे कृष्ण जन्म होगा उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारावास में रात्रि के समय हुआ था कारावास से रातों-रात उनके पिता ने उन्हें नंदगांव पहुंचा दिया था गोकुल और वृंदावन में श्री कृष्ण जी की समस्त बाल लीलाएं हुई श्री कृष्णा एक परंतु उनके अनेक रूप और हर रूप की लीला अद्भुत प्रेम को परिभाषित करती है। श्री कृष्ण जी ने जिस क्षेत्र में प्रवेश किया वहीं नए कीर्तिमान स्थापित किया। श्री कृष्ण केवल अपनी माता के ही नहीं अपितु समस्त क्षेत्र वासियों के लाडले थे बालपन में उन्होंने बहुत सी लीलाओं के द्वारा गोकुल वृंदावन वासियों का मन मोह लिया। श्री कृष्णा नटखट थे और उनके इसी रूप से उनकी माता यशोदा नंद बाबा व समस्त ग्रामवासी परेशान रहते थे श्री कृष्ण जी के संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समायी हुई है उनकी हर लीला जनकल्याण पर आधारित है जो अपने कोई ना कोई शुभ संदेश देती है
गोवर्धन लीला
इंद्रदेव ने जब अहंकार में क्रोधित हो गोकुल और वृंदावन में जल प्रलय लाई तो भगवान श्री कृष्ण ने ग्राम वासियों को बचाने के लिए अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया और ग्राम वासियों को संदेश दिया कि एक अहंकारी और अन्याय करने वाला कभी भी पूजनीय नहीं हो सकता कालिया नाग लीला
यमुना में कालिया नाग के विष से समस्त ग्रामवासी व पशु आहत हो रहे थे तब श्री कृष्ण जी ने यमुना नदी में अपनी गेंद फेंक कर लीला कर कालिया नाग का दामन करके उसे यमुना के रास्ते समुद्र के मध्य दमन द्वीप पर जाने का आदेश दिया रासलीला
भगवान श्री कृष्ण जी ने गोपियों संग मधुबन में मथुरा जाने से पूर्व अंतिम बार श्री राधा जी व गोप गोपियों संग महारास लीला की पुरानो के अनुसार मथुरा जाने से पूर्व कुंज का उद्धार करते हैं फिर शिव का धनुष तोड़ते हैं और अंत में कंस का वध करते हैं कंस वध के बाद भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का समापन हो जाता है श्री कृष्ण जी के बालपन में कंस जो कि उनके मामा थे अपनी मृत्यु के भय से श्री कृष्ण का वध करने के लिए अनेक राक्षसों को भेजते हैं तथा भगवान उनका उद्धार करते हैं कृष्ण की बाल लीलाओं में ग्वाल बालों संग मिलकर गांव वालों का माखन चुराना गाव वालों का मां यशोदा को शिकायत तथा फिर मां के द्वारा कृष्ण को डांट के साथ सजा देना आदि शामिल है कृष्ण भगवान को मां यशोदा के द्वारा दी गई सजा भी एक लीला के अंतर्गत ही थी जिसमें भगवान ने वृक्ष के रूप में मणिग्रीब व नलकुवर का उद्धार किया था वस्त्रहरण लीला
कात्यायनी मां की व्रत पूजन के दौरान यमुना जी में निर्वस्त्र स्नान कर रही थी तो श्री कृष्ण जी ने अपने मित्रों संग मिलकर उनके वस्त्र चुराए व ग्वालीनों से वचन लिया कि वह दोबारा कभी निर्वस्त्र स्नान कर यमुना जी को अपमानित नहीं करेंगे और ना ही माता से फिर कभी उनकी शिकायत करेगी वचन ले श्री कृष्णा अपने ग्वालो सन्ग वस्त्र लौटा कर चले गए भगवान ने वस्त्र हरण की जो लीला किया जीव के और परमात्मा के बीच में वस्त्र एक पर्दा है उसे वस्त्रहरण की लीला से भगवान ने उसे पर्दे को दूर किया अर्थात जीव और परमात्मा का मिलन हुआ तभी वह गोपिया कृष्णा में हो गई सभी गोपिया अपने आप को कृष्णा समझने लगी और कहने लगी की लाली देखन मैं गई तो मैं भी हो गई लाल लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल इस प्रकार से भगवान ने उन गोपियों को अपना अपना सर्वस्व सुधार करते हुए और अपने स्वरूप का दान दे दिया
इस तरह श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाएं मनुष्यों को जीवन जीने के संदेश देती हैं