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करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा: फिजिकल वैरिफिकेशन में मिली अनियमितता

करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा: फिजिकल वैरिफिकेशन में मिली अनियमितता

करनाल में धान खरीद में फर्जीवाड़ा: फिजिकल वैरिफिकेशन में मिली अनियमितता

करनाल में धान खरीद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। फिजिकल वैरिफिकेशन में लगभग 4,000 क्विंटल धान कम पाई गई है, जिसके बाद खाद्य आपूर्ति विभाग ने राइस मिलर्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा, जिले में कई मंडियों में गेट पास तेजी से काटने और फर्जीवाड़े की आशंका भी सामने आई है।

1. फिजिकल वैरिफिकेशन में अनियमितता

फिजिकल वैरिफिकेशन के दौरान लगभग 4,000 क्विंटल धान कम पाया गया। यह पहली जांच थी, और इस शुरुआती चरण में ही बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आ गई है। करनाल के डीसी उत्तम सिंह ने राइस मिलर्स की व्यापक जांच कराने के निर्देश दिए हैं।

2. गेट पास में हेरफेर

जांच में पाया गया कि कई मंडियों में गेट पास काटने की प्रक्रिया में अनियमितता हुई। सामान्यतः एक गेट पास काटने में दो से तीन मिनट का समय लगता है, लेकिन यहां केवल 41 सेकंड में गेट पास काटे गए, जिससे अनियमितता का संदेह बढ़ गया। इस गड़बड़ी के चलते निसिंग मंडी में 772 गेट पास कैंसिल किए गए, जिनका कुल वजन 42,633 क्विंटल था।

3. मंडी अधिकारियों पर सवाल

खरीद प्रक्रिया में अनियमितता के चलते मंडी अधिकारियों, कर्मचारियों, और व्यापारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। खरीद एजेंसी के इंस्पेक्टर, आढ़तियों और राइस मिलर्स की मिलीभगत के बिना इस तरह के भ्रष्टाचार को अंजाम देना संभव नहीं होता।

4. फर्जी गेट पास से शुरू होता है फर्जीवाड़े का चक्र

फर्जी गेट पास काटकर धान की खरीदारी के कागजों में धान उगाने की प्रक्रिया शुरू होती है। आढ़ती, मिलर्स और सरकारी अधिकारी मिलकर यह दिखाते हैं कि धान की खरीद हो चुकी है। इसके बाद, किसान के नाम पर पैसा ट्रांसफर किया जाता है, और इस प्रक्रिया में सभी शामिल लोग अपना हिस्सा ले लेते हैं।

5. गरीबों के चावल पर मिलर्स का डाका

जो धान कागजों में ही दिखाया जाता है, उसे वास्तविक रूप में दिखाने के लिए राइस मिलर्स यूपी और बिहार से सस्ते दाम पर चावल खरीदते हैं। इससे मिलर्स का मिलिंग खर्च बचता है, और ये चावल एफसीआई को भेज दिए जाते हैं।

6. जांच और खानापूर्ति तक सीमित कार्रवाई

आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी के अनुसार, फिजिकल वैरिफिकेशन महज खानापूर्ति है। जनता को दिखाने के लिए प्रशासन जांच करता है, लेकिन जब तक कठोर कार्रवाई नहीं होती, इस तरह की घटनाएं बार-बार होती रहेंगी।

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