चंडीगढ़ | 20 अप्रैल 2025: हरियाणा में 2024 का चुनावी वर्ष बिजली वितरण कंपनियों के लिए वित्तीय संकट का कारण बन गया. लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान बिजली चोरी के खिलाफ कार्रवाई में काफी ढिलाई बरती गई, जिसका सीधा असर उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) पर पड़ा. नतीजा यह हुआ कि हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) को वित्तीय वर्ष 2025-26 में बिजली दरें बढ़ाने की मंजूरी देनी पड़ी.
हरियाणा विद्युत निगमों की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में दोनों निगमों ने 721.72 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus) हासिल किया था. लेकिन 2024-25 में स्थिति पूरी तरह बदल गई और निगमों को 3,245.21 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. यह घाटा 2025-26 में बढ़कर 4,520.24 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. पिछले वर्ष के अधिशेष (Revenue Surplus) को समायोजित करने के बाद भी 3,262.38 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा बरकरार है. इस वित्तीय संकट ने दर वृद्धि को अनिवार्य बना दिया.
एफआईआर में भारी गिरावट, चोरी पर सुस्ती
2022 में बिजली चोरी के 82,087 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2023 में घटकर 63,643 रह गए. लेकिन 2024 में यह आंकड़ा और गिरकर 39,401 पर आ गया. 2025 के पहले तीन महीनों (जनवरी तक) में केवल 4,533 एफआईआर दर्ज हुईं. यह साफ दर्शाता है कि चुनावी वर्ष में बिजली चोरी के मामलों पर अपेक्षित सख्ती नहीं बरती गई. परिणामस्वरूप निगमों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.
AT&C हानियों में सुधार की रफ्तार थमी
तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां (AT&C Losses) किसी भी बिजली वितरण कंपनी की दक्षता का पैमाना होती हैं. 2012-13 में UHBVN का AT&C लॉस 35.60% और DHBVN का 23.29% था, जो वर्षों के प्रयासों के बाद 2023-24 में क्रमशः 9.15% और 11.35% तक कम हुआ. लेकिन 2024-25 में यह सुधार रुक गया. जनवरी 2025 तक UHBVN का लॉस 9.38% और DHBVN का 11.35% दर्ज किया गया. यह स्थिरता संकेत देती है कि बिजली चोरी और तकनीकी हानियों पर नियंत्रण में अब उतनी प्रगति नहीं हो रही है.
चुनावी दबाव में टली दर वृद्धि
2023-24 में अधिशेष के कारण HERC ने दरों में कोई वृद्धि नहीं की थी. लेकिन 2024-25 में औसत आपूर्ति लागत (ACS) बढ़कर 6.48 रुपये प्रति यूनिट हो गई थी. इसके बावजूद, लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार ने दर वृद्धि को टाल दिया. 5 मार्च 2024 को HERC ने दोनों निगमों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) याचिका पर आदेश पारित करते हुए दरों में वृद्धि करने के बजाय उन्हें प्रदर्शन सुधारने और हानियां कम करने के निर्देश दिए थे. लेकिन यह रणनीति नाकाफी साबित हुई.
2025-26 में दर वृद्धि अपरिहार्य
2025-26 में घाटा 4,520.24 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वहीं औसत आपूर्ति लागत बढ़कर 7.35 रुपये प्रति यूनिट हो गई. इस कारण HERC को बिजली दरों में आंशिक वृद्धि की अनुमति देनी पड़ी. हालांकि यह वृद्धि इस प्रकार संतुलित की गई है कि घरेलू उपभोक्ताओं, विशेष रूप से 0-150 यूनिट की श्रेणी में आने वाले उपभोक्ताओं पर इसका न्यूनतम असर पड़े.
चुनावी फैसलों की कीमत
2024 में चुनावी दबाव के कारण बिजली चोरी के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी और दर वृद्धि जैसे अहम निर्णय टाल दिए गए. इसका सीधा असर निगमों की वित्तीय सेहत पर पड़ा. अब HERC ने न केवल दर वृद्धि को स्वीकृति दी है बल्कि निगमों को AT&C हानियों में कमी लाने और चोरी पर सख्ती बरतने के निर्देश भी जारी किए हैं.
आगे की राह
हरियाणा की बिजली वितरण व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब वितरण निगमों को कार्यक्षमता बढ़ानी होगी. तकनीकी हानियों को कम करना, चोरी पर कड़ा नियंत्रण और राजस्व वसूली को मजबूत करना प्राथमिकता होनी चाहिए. उपभोक्ताओं पर दर वृद्धि का जो भार पड़ा है, वह दरअसल चुनावी वर्ष में लिए गए अल्पकालिक निर्णयों की दीर्घकालिक कीमत है.
निष्कर्ष
हरियाणा में बिजली वितरण निगमों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए अब कठोर और पारदर्शी कार्रवाई की आवश्यकता है. HERC के निर्देशों का प्रभावी पालन ही इस संकट से निकलने का रास्ता साफ करेगा.
अरुण गौतम