जिमनास्ट दीपा करमाकर ने भारी मन से लिया सन्यास, बोली- आज मुझे खुद पर गर्व है
भारतीय जिमनास्ट दीपा करमाकर ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के जरिए जिमनास्टिक से संन्यास की घोषणा की है। दीपा ने 2018 में FIG आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक वर्ल्ड चैलेंज कप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा, जिससे वह इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं। अपने करियर के दौरान, दीपा ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और भारतीय जिम्नास्टिक्स को वैश्विक मानचित्र पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी संन्यास की घोषणा ने उनके फैंस और समर्थकों को भावुक कर दिया है, जिन्होंने उनकी यात्रा और उपलब्धियों की सराहना की। दीपा ने अपने करियर के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हमेशा हिम्मत और मेहनत से अपनी पहचान बनाई। अब जब उन्होंने जिमनास्टिक से अलविदा लिया है, तो उनके प्रशंसक उनके नए सफर की शुभकामनाएं दे रहे हैं।
दीपा करमाकर: “मुझे अपनी उपलब्धियों पर गर्व है”
भारतीय जिमनास्ट दीपा करमाकर ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए भावुकता के साथ लिखा, “मुझे पांच साल की दीपा याद है, जिसे बताया गया था कि वह अपने सपाट पैरों के कारण कभी जिमनास्ट नहीं बन सकती। आज, मुझे अपनी उपलब्धियों को देखकर बहुत गर्व महसूस हो रहा है।”
दीपा ने आगे कहा कि विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना, पदक जीतना, और सबसे खास बात, रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट करना उनके करियर के सबसे यादगार पल रहे हैं। उन्होंने कहा, “आज, मैं दीपा को देखकर बहुत खुश हूं क्योंकि उसने सपने देखने की हिम्मत की।”
“जिमनास्टिक से मेरा नाता कभी खत्म नहीं होगा”
भारतीय जिमनास्ट दीपा करमाकर, जिन्होंने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतकर भारतीय महिला खेलों में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया, ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए कहा, “मैंने लिखा कि मैं रिटायर हो रही हूं, लेकिन जिमनास्टिक से मेरा नाता कभी खत्म नहीं होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि वह अपने जैसी अन्य लड़कियों को सुरक्षित मेंटर, कोच, और सहायता प्रदान करके इस खेल को फिर से जीवंत करना चाहेंगी। दीपा ने अपने समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “एक बार फिर, मेरी यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आप सभी का धन्यवाद।”
31 वर्षीय दीपा को 2015 में अर्जुन पुरस्कार और 2016 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, उन्हें 2017 में चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म श्री भी मिला। दीपा का योगदान न केवल उनके व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए, बल्कि युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए भी याद रखा जाएगा।
यह भी उल्लेखनीय है कि दीपा उन पांच महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने प्रोडुनोवा वॉल्ट में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है, जिसे वर्तमान में महिला जिमनास्टिक में सबसे कठिन वॉल्टों में से एक माना जाता है। दीपा का यह सफर सभी के लिए प्रेरणादायक है,औरउनकेयोगदान को हमेशा याद रखा जाएगा औरउनकेयोगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।