मतदाताओं की भीड़ ने तहस-नहस कर दिए विधानसभा के नतीजे
2017 में अपनी सीटें हारे थे मौजूदा प्रदेश सरकार के चार मंत्री
हिमाचल में मतदाताओं की बढ़ती भीड़ ने बड़ी सीटों पर भी उलटफेर किए हैं। आज बात बीते विधानसभा चुनावों में उन सीटों की करेंगे, जिनमें 2022 में जीत दर्ज करने वाले नेता सरकार में अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल, मुख्य संसदीय सचिव, विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष की विधानसभा में अंकगणित के असर ने कुछ नेताओं की जीत को बहुत बड़ा कर दिया, तो कुछ हार का मुंह देखने के बाद वोटों के बढ़े हुए आंकड़ों के साथ विधानसभा में दाखिल हो गए। वर्तमान सरकार ने चार ऐसे मंत्री हैं, जो पिछला चुनाव हार गए थे।
इनमें चंद्र कुमार, रोहित ठाकुर, राजेश धर्माणी और यादविंद्र गोमा का नाम शामिल हैै। 2017 और 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश ने अलग-अलग सरकारें देखी थीं, लेकिन समय के साथ परिपक्व हुए नेताओं ने न सिर्फ दोनों चुनाव जीते, बल्कि उनका वोट शेयर भी पांच साल में बढ़ गया। प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में 11 सदस्य शामिल हैं।
इसके अलावा सरकार के गठन के बाद छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया है। एक पद विधानसभा अध्यक्ष का है। 2017 में जुब्बल कोटखाई से मौजूदा शिक्षामंत्री रोहित ठाकुर विधानसभा चुनाव हार गए थे, जबकि इसी सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने 2021 में जीत दर्ज की थी और 2022 में इस जीत को बरकरार रखा।
इसके अलावा सराज में 2022 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बना था। सराज में 63 हजार 228 लोगों ने मतदान किया था और इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की 11 हजार 254 मतों से जीत हुई थी। 2022 में 70 हजार 911 लोगों ने मतदान किया और इस मतदान की वजह से जयराम ठाकुर ने 38 हजार 183 मतों से जीत दर्ज कर नया रिकॉर्ड बना लिया, जबकि 2017 में नाहन में हार का मुंह देख चुके भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डा. राजीव बिंदल की सीट पर बदले आंकड़ों की निगरानी भी प्रदेश की पब्लिक कर रही है।
डा. राजीव बिंदल 1639 वोटों के बेहद नजदीकी मुकाबले में यह चुनाव हार गए थे। बहरहाल, लगातार बदल रहे आंकड़ों के खेल ने पांच साल में विधानसभा के चुनाव का दिलचस्प बना दिया था और नतीजों में कई बड़े दिग्गज अब बाहर बैठे हैं, तो कुछ के लिए नतीजों ने संजीवनी का काम किया है।