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महाराष्ट्र चुनाव 2024: टिकट बंटवारे से नाखुश बागियों ने बढ़ाई महायुति और एमवीए की मुश्किलें

महाराष्ट्र चुनाव 2024: टिकट बंटवारे से नाखुश बागियों ने बढ़ाई महायुति और एमवीए की मुश्किलें

महाराष्ट्र चुनाव 2024: टिकट बंटवारे से नाखुश बागियों ने बढ़ाई महायुति और एमवीए की मुश्किलें

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए टिकट न मिलने से नाराज बागी नेताओं ने महायुति और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधनों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। राज्य की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा, जबकि उम्मीदवारों का नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर थी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख 4 नवंबर है, जिसके बाद बागियों की वास्तविक संख्या स्पष्ट होगी।

बागियों का बढ़ता असर: 80 से ज्यादा बागी महायुति में

  • महायुति ने अब तक 80 बागियों की पहचान की है, जबकि लगभग 150 नेताओं ने अपनी पार्टी या गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ नामांकन दाखिल कर दिया है।
  • प्रमुख गठबंधन महायुति में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं, जबकि विपक्षी एमवीए में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी के नेता शामिल हैं।

एमवीए और महायुति में नामांकन की स्थिति

  • एमवीए के 286 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं:
    • कांग्रेस: 103 उम्मीदवार
    • शिवसेना (यूबीटी): 96 उम्मीदवार
    • एनसीपी (शरद पवार गुट): 87 उम्मीदवार
  • महायुति के 284 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है:
    • बीजेपी: 80 उम्मीदवार
    • शिवसेना (शिंदे गुट): 80 उम्मीदवार
    • एनसीपी (अजित पवार गुट): 52 उम्मीदवार

महायुति की सूची में 289 उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी, लेकिन दो सीटों पर अभी कोई उम्मीदवार तय नहीं हुआ है, और 5 निर्वाचन क्षेत्रों में दो-दो प्रत्याशी मैदान में हैं।

मुंबई और अन्य जिलों में बागियों का दबाव

  • मुंबई समेत कई जगहों पर बीजेपी और महायुति को बागियों से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
    • उदाहरण के तौर पर, गोपाल शेट्टी, जो मुंबई की बोरीवली सीट से दो बार विधायक और लोकसभा सांसद रहे हैं, ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार संजय उपाध्याय के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा है।

गठबंधन के भीतर भी विरोध

  • कई सीटों पर सहयोगी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए हैं।
    • सोलापुर दक्षिण सीट पर कांग्रेस ने दिलीप माने को टिकट देने का वादा किया था, लेकिन अंत में टिकट नहीं दिया गया। इससे नाराज होकर माने ने निर्दलीय नामांकन कर दिया।
    • नंदगांव सीट पर एनसीपी नेता छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल ने शिवसेना के मौजूदा विधायक सुहास कांडे के खिलाफ निर्दलीय पर्चा भरा है।
    • नागपुर में एनसीपी की बागी नेता आभा पांडे ने बीजेपी विधायक कृष्णा खोपड़े को चुनौती दी है।

गठबंधनों में सीट बंटवारे पर विवाद

एमवीए में शुरू से ही सीट बंटवारे को लेकर असहमति रही। कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी के बीच 90-90 सीटों पर चुनाव लड़ने का फॉर्मूला प्रस्तावित था, लेकिन अंतिम सहमति नहीं बन सकी। दूसरी ओर, महायुति ने अपने सीट बंटवारे के फार्मूले को गुप्त रखा, जिससे कई सहयोगियों में असंतोष बढ़ा।

बागियों से गठबंधनों के लिए नई चुनौती

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बागी नेताओं की उपस्थिति चुनाव परिणामों पर गहरा असर डाल सकती है।

  • चुनाव आमतौर पर उम्मीदवारों की छवि पर लड़ा जाता है, और बागियों की मौजूदगी वोट कटवा बनकर आधिकारिक उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • विशेष रूप से अजित पवार की एनसीपी के प्रवेश से महायुति के भीतर तनाव बढ़ा है, जिससे बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है।

अंतिम तस्वीर 4 नवंबर के बाद साफ होगी

नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 4 नवंबर है। तब यह स्पष्ट होगा कि कितने बागी मैदान में टिके रहते हैं और गठबंधन उन्हें मनाने में कितना सफल होता है। अगर बागी पीछे नहीं हटते, तो वे दोनों गठबंधनों के चुनावी गणित को प्रभावित कर सकते हैं और कई महत्वपूर्ण सीटों पर चुनाव का रुख बदल सकते हैं।

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