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महाराष्ट्र: मुख्यमंत्री पद पर खींचतान खत्म, देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग तय, शिवसेना और एनसीपी में खेमेबंदी
महाराष्ट्र में महायुति (BJP-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन) के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी सियासी खींचतान अब लगभग खत्म होती नजर आ रही है। बीजेपी और अजित पवार गुट की एनसीपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन दे दिया है, जबकि शिवसेना-शिंदे गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने हाईकमान के फैसले को मानने की बात कही है।
शिंदे का बयान: “सीएम पद के लिए नहीं लड़ा था चुनाव”
- एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थकों से अपील की है कि मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर उनके घर पर प्रदर्शन न करें।
- उन्होंने कहा, “महायुति तीन पार्टियों का गठबंधन है और हमने मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव नहीं लड़ा था।”
- शिंदे ने यह भी साफ किया कि वह बीजेपी हाईकमान के निर्णय को स्वीकार करेंगे।
अजीत पवार का समर्थन और बीजेपी का रुख
- अजित पवार गुट ने पहले ही देवेंद्र फडणवीस के नाम पर सहमति जताई है।
- सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी “बिहार पैटर्न” (जहां डिप्टी सीएम गठबंधन सहयोगी से बनाया जाता है) को अपनाने के मूड में नहीं है और अपनी पार्टी का ही मुख्यमंत्री चाहती है।
महायुति के नेताओं की बैठक और चर्चा
- शिवसेना नेता शंभुराज देसाई ने बताया कि एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, और अजित पवार एक साथ बैठकर अंतिम निर्णय लेंगे।
- यह भी तय हुआ है कि गठबंधन के सभी विधायक इस फैसले को मानेंगे।
फडणवीस का सीएम बनना तय?
- महायुति के भीतर इस बात पर सहमति बन रही है कि देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
- हालांकि, शिवसेना-शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है, लेकिन शिंदे ने इस पर संयम बरतने की अपील की है।
कैबिनेट में विभागों को लेकर माथापच्ची
मुख्यमंत्री पद के बाद अब महायुति के भीतर मंत्री पदों और विभागों के बंटवारे पर चर्चा तेज हो गई है।
- शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी के बीच कौन से विभाग किसके हिस्से आएंगे, यह बैठक के बाद तय होगा।
- अजीत पवार गुट ने कृषि और वित्त जैसे अहम मंत्रालयों पर दावा किया है।
क्या हो सकता है आगे?
- अगले 2-3 दिनों में मुख्यमंत्री और कैबिनेट की तस्वीर साफ हो जाएगी।
- फडणवीस का सीएम बनना लगभग तय है, जबकि शिंदे को बड़े मंत्रालय या केंद्र में भूमिका दी जा सकती है।
- महायुति की मजबूती बनाए रखना गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाओं पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। महायुति के भीतर यह संतुलन बनाए रखना बीजेपी और सहयोगी दलों के लिए एक अहम परीक्षा साबित हो सकता है।