मां के पाठ से नष्ट हो होती हैं नकारात्मक शक्तियां
पालमपुर में प्रभु कृपा दुख निवारण समागम में महाब्रह्मर्षि श्रीकुमार स्वामी ने भक्तों को दिए बीज मंत्र
मां के पाठ के प्रभाव से सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। भगवान शिव ने मां की आराधना करते हुए कहा कि हे सर्वेश्वरी! तुम्हारी कृपा के प्रभाव से भांग, कनेर, धतूरे, अफीम, सर्प, बिच्छू के दंश और दारुल विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। आपकी कृपा से ब्रह्मराक्षस, बैताल, निम्न कोटि के ग्राम देवता, अंतरिक्ष में विचरण करने वाले निम्न कोटि के देव, पाठ करने वाले साधक को
देखते ही भाग जाते हैं। आपकी कृपा से जितने भी सुख और सौभाग्य दिखाई देते हैं, प्राप्त हो जाते हैं। पृथ्वी पर जब तक जीवन रहता है, तब तक पाठ करने वाले साधक की संतान परंपरा बनी रहती है। वह अर्थ, काम, धर्म, मोक्ष को प्राप्त होता है। जीवन भर सुख भोगने के बाद शिवलोक का गामी होता है।
ये उद्गार महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने रविवार को विला कैमेलिया पालमपुर में आयोजित प्रभु कृपा दुख निवारण समागम में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पंडाल में व्यक्त किए। इस समागम में महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने अवधान के माध्यम से श्रद्धालुओं को तत्क्षण दुख निवारण की कृपा प्रदान की। मां दुर्गा और श्री राम के अवधान के अनुभवों को देखकर सभी हैरान हैं।
किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि कुछ मिनट के अवधान से जो लोग अवसाद, तनाव, चिंता, उच्च व निम्न रक्तचाप तथा अन्य रोगों से ग्रस्त रहते थे, वे इस अवधान को करने के बाद खुशी से झूमने लगेंगे। समागम में धार्मिक राजनीति और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रभु कृपा ग्रहण की।
समागम में हिमाचल प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु भाई-बहनों ने आकर मां दुर्गा की कृपा ग्रहण की। मां दुर्गा के परम शक्तिशाली पाठ को ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। समागम में आए श्रद्धालुओं के लिए अनवरत रूप से लंगर चलता रहा। महाब्रह्मर्षि जी ने कहा कि यदि स्त्री दुखी है, तो परिवार भी सुखी नहीं रह सकता।
स्त्रियों में कुछ ऐसे गुप्त रोग हैं, जिसके बारे में महिलाएं संकोचवश कह नहीं पाती हैं। उनमें से यूटीआई ऐसा ही एक रोग है। इसने पूरे विश्व में अपना भयंकर रूप से जाल फैला रखा है। इसके लिए मिरेकल वी वाश औषधि खोज की गई है, जो इसका समूल निवारण कर देती है, जबकि अन्य कोई भी दवाई इस रोग का निवारण करने में समर्थ नहीं है।