सिक्किम राठी ने एनटीटी चंडीगढ़ में प्रथम रैंक प्राप्त कर रचा सफलता का इतिहास
पंचकूला 25 जून (संदीप सैनी) आज पंचकूला के साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली सिक्किम राठी ग्रहणियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है। जिन्होंने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए एनटीटी चंडीगढ़ के एग्जाम में प्रथम रैंक हासिल कर महिलाओं व ग्रहणियों के लिए एक मिसाल कायम की है। सही मार्गदर्शन, कड़ी मेहनत और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रख कर किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया जा सकता है। इसके साथ ही सिक्किम राठी ने जेबीटी में 26 वां रैंक हासिल किया है ।पंचकूला के सेक्टर 26 में अपने पति कंवर पाल सांगवान जो कि स्वयं पंचकूला के सेक्टर 25 में जेबीटी अध्यापक हैं उनके मार्गदर्शन में और दो बच्चे जो की 8 व 5 साल के हैं उनकी भी परवरिश की जिम्मेदारियां पढ़ाई के साथ बखूबी निभाई। सिक्किम राठी हरियाणा के रोहतक की निवासी हैं और उनके पिता एक साधारण किसान हैं। आज वे भी सिक्किम की सफलता से बेहद खुश हैं। अपनी सफलता के राज में सिक्किम ने बताया परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया को दरकिनार कर दिया था व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम को समय की बर्बादी व लक्ष्य से भटकाने का साधन बताया। युवा वर्ग को चाहिए कि ज्यादा समय सोशल मीडिया पर ना बर्बाद करें। साथ ही कहा की कड़ी मेहनत और टाइम मैनेजमेंट कर अगर किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की ध्यान पूर्वक तैयारी की जाए तो आपकी सफलता को कोई नहीं रोक सकता।
उन्होंने कहा कि शिक्षा जितनी बांटे उतनी बढ़ती है। सिक्किम राठी ने कहा कि उनका सदैव एक अच्छी शिक्षिका बनने का सपना था ताकि बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार रोपित कर एक सभ्य समाज की स्थापना की जा सके। बच्चें जो की आने वाले समय के देश के भविष्य हैं अगर उन्हें अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार मिले तो देश को अच्छे से विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रहणीयां अक्सर समय की कमी व बच्चों की जिम्मेदारी का बहाना बनाकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं करती या कई बार पति व ससुराल पक्ष उनका साथ नहीं देता तो वह अपने उद्देश्य को दरकिनार कर देती है। उन्हें परिवार व पढ़ाई के बीच में सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने सभी महिलाओं से आग्रह किया की समय को व्यवस्थित कर अगर एक टाइम स्लॉट निकाल कर और उसका सही इस्तेमाल अपनी पढ़ाई को पूर्ण करने में लगाया जाए या किसी प्रतियोगिता की तैयारी के लिए लगाया जाए तो वे अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मात्र 6 महीने की तपस्या में सिर्फ दिन के चार से पांच घंटे पूरी तरह पढ़ाई पर समर्पित कर उन्होंने इस परीक्षा को ना ही सफलता पूर्ण पास किया बल्कि एनटीटी में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया। अपनी सफलता का सारा श्रेय वे अपने बेटे वेदांत व पति कंवरपाल सांगवान को देती है जिन्होंने उनके लिए हमेशा समय उपलब्ध कराया और हर प्रकार से उनके साथ दिया।
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