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झारखंड चुनाव से पहले बीजेपी का बड़ा कदम: 30 बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कड़ी कार्रवाई की है और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने वाले 30 नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इस कदम से पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि वह अपनी नीतियों और उम्मीदवारों के खिलाफ खड़े होने वाले नेताओं को बर्दाश्त नहीं करेगी।
निष्कासन के कारण
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निर्देश पर पार्टी के महासचिव और सांसद डॉ. प्रदीप वर्मा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त इन नेताओं के खिलाफ यह कार्रवाई की। इन नेताओं ने भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ विभिन्न विधानसभा सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया था, जो पार्टी की नीतियों के खिलाफ था।
निष्कासित नेताओं की सूची
पार्टी से निष्कासित किए गए नेताओं में प्रमुख नामों में चंद्रमा कुमारी (पलामू), कुमकुम देवी (हजारीबाग), लक्ष्मी देवी (पलामू), जूली यादव (दुमका), बलवंत सिंह (लातेहार), अरविंद सिंह (खरसावां), बटेश्वर मेहता (हजारीबाग), भैय्या बांके बिहारी (हजारीबाग), चितरंजन साव (बोकारो), कर्नल संजय सिंह (पलामू) और हर्ष अजमेरा (हजारीबाग) शामिल हैं। इसके अलावा, हजारी प्रसाद साहू (रांची ग्रामीण), मिसिर कुजूर (गुमला), मिस्त्री सोरेन (पाकुड़), मुकेश कुमार शुक्ला (पाकुड़), पुष्परंजन (पलामू) और राजकुमार सिंह (जमशेदपुर महानगर) जैसे अन्य नेताओं को भी निष्कासित किया गया है।
अतिरिक्त निष्कासन
इस सूची में और भी नाम हैं, जिनमें रामावतार केरकेट्टा (रांची ग्रामीण), रामदेव हेम्ब्रम (पूर्वी सिंहभूम), रामेश्वर उरांव (लोहरदगा), संतोष पासवान (लातेहार), शिवचरण महतो (पाकुड़), शिवशंकर बड़ाइक (खूंटी), शिव शंकर सिंह (जमशेदपुर), सुरेंद्र मोदी (हजारीबाग), उपेंद्र यादव (गढ़वा), उमेश भारती (चतरा), विकास सिंह (जमशेदपुर महानगर), विमल बैठा (जमशेदपुर महानगर) और विनोद सिंह (पलामू) शामिल हैं।
विधानसभा चुनाव की तैयारियां
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे। मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी। इस चुनाव में भाजपा का उद्देश्य अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को समर्थन देने और विपक्षी दलों से मुकाबला करने के लिए मजबूती से मैदान में उतरना है। पार्टी ने इस कदम के जरिए यह संदेश दिया है कि जो नेता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ खड़े होंगे, उन्हें पार्टी से बाहर किया जाएगा।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने बागी नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, जिससे पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने और चुनावी माहौल को सुदृढ़ करने की कोशिश की जा रही है। भाजपा की इस रणनीति से यह साफ है कि वह चुनावी मुकाबले में कोई समझौता नहीं करना चाहती और पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ किसी भी बागी गतिविधि को सहन नहीं करेगी।