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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: 11 पिछले विजेता सिंबल बदलकर लड़ रहे हैं चुनाव
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में कई पुराने विजेता नए प्रतीकों और पार्टियों के साथ मैदान में उतरे हैं। पिछली बार जीत दर्ज करने वाले 11 नेता इस बार पार्टी बदलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जो राज्य की चुनावी तस्वीर को दिलचस्प बना रहा है। इन उम्मीदवारों में अधिकतर नेता झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों से जुड़े रहे हैं, परन्तु इस बार वे नई राजनीतिक पहचान के साथ जनता के सामने आ रहे हैं।
पार्टी बदलने की प्रमुख वजहें
झारखंड की राजनीति में दल-बदलने का प्रमुख कारण सत्ताधारी पार्टियों की नीतियों से असहमति और व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बताई जा रही हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ नेता अपनी पुरानी पार्टी से असंतुष्ट हैं और वे उन दलों में शामिल हुए हैं, जिनसे वे सत्ता में अधिक संभावना देख रहे हैं। इसके अलावा, कई नेता विकास के मुद्दों पर जोर देने के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को नई दिशा देने के उद्देश्य से नई पार्टी का दामन थाम चुके हैं।
11 नेताओं में से कुछ प्रमुख नाम
- विजय प्रताप सिंह: पिछली बार JMM के टिकट पर चुनाव जीते थे, इस बार उन्होंने कांग्रेस पार्टी से टिकट लिया है।
- रमेश सिंह मुण्डा: पूर्व बीजेपी विधायक जो इस बार JMM के टिकट पर मैदान में हैं।
- विनोद कंसल: पूर्व कांग्रेस विधायक, जिन्होंने इस बार बीजेपी से ताल ठोंकी है।
चुनाव पर प्रभाव
पुराने विजेता नेताओं का नए प्रतीकों के साथ चुनाव लड़ना इस बार की वोटिंग को प्रभावित कर सकता है। चूंकि इन नेताओं के पास पहले से क्षेत्रीय प्रभाव है, इससे उनकी नई पार्टियों को समर्थन बढ़ने की संभावना है। वहीं, पुराने दलों को चुनाव में नई रणनीति के तहत अपने प्रभाव को बनाए रखने की चुनौती भी पेश आई है।
मतदाताओं का नजरिया
झारखंड के मतदाता, जिन्हें स्थानीय नेताओं पर विश्वास है, अब नए दलों के साथ उनकी पहचान को लेकर थोड़ा सतर्क दिखाई दे रहे हैं। कई मतदाता अपने उम्मीदवारों से यह जानना चाहते हैं कि उन्होंने पुराने दलों को छोड़कर नए में क्यों शामिल होने का निर्णय लिया।
चुनाव के परिणाम पर असर
चुनावी नतीजों पर इन पुराने विजेताओं का दल बदलना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जहां कुछ लोग अपने चुनाव क्षेत्र में अपनी पुरानी पकड़ बनाए रखने में सक्षम हो सकते हैं, वहीं अन्य नए दल में शामिल होने की वजह से चुनौती का सामना कर सकते हैं।
इन दल-बदलते नेताओं ने इस चुनावी महासंग्राम को और भी दिलचस्प बना दिया है, और यह देखना रोमांचक होगा कि उनके इस फैसले का झारखंड चुनाव के परिणामों पर कैसा असर पड़ता है।