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कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों की बढ़ती उग्रता: स्थानीय नागरिकों को यूरोप लौटने की धमकी और भारत-कनाडा संबंधों पर असर
हाल ही में कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें खालिस्तानी समर्थक कनाडा के सड़कों पर ‘नगर कीर्तन’ जुलूस निकालते हुए नजर आ रहे हैं। इस जुलूस में खालिस्तानी समर्थक कनाडा के स्थानीय निवासियों को “आक्रमणकारी” कहकर इंग्लैंड और यूरोप लौटने का अल्टीमेटम देते दिखाई दे रहे हैं। इस घटना ने कनाडा में स्थानीय निवासियों और भारतीय समुदाय में गहरी नाराजगी और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है।
खालिस्तान समर्थकों का विवादित बयान और बढ़ती नाराजगी
वायरल वीडियो में खालिस्तानी समर्थक खुलकर यह कहते नजर आ रहे हैं कि “यह कनाडा हमारा देश है, आप यहां से चले जाएं।” इस तरह के बयान से कनाडा के निवासियों में गुस्सा बढ़ रहा है और कई स्थानीय नागरिक सोशल मीडिया पर इसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं। एक कनाडाई नागरिक ने टिप्पणी करते हुए लिखा कि “खालिस्तानी सर्रे में यह दावा कर रहे हैं कि कनाडा उनका है और गोरे लोगों को यूरोप और इजराइल लौट जाना चाहिए।” इस वीडियो को चार लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है और इस पर कनाडाई नागरिक अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। इससे कनाडा में बसे भारतीय और अन्य स्थानीय समुदाय के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
स्थानीय निवासियों पर बढ़ते खतरे और भारतीय समुदाय की सुरक्षा चिंताएं
भारतीय समुदाय के लिए बढ़ते खतरों की सूचना भी मिल रही है। भारतीय सूत्रों के अनुसार, खालिस्तान समर्थक कनाडा में अपनी उपस्थिति और गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं और इसका निशाना विशेष रूप से भारतीय और हिंदू समुदाय बन रहा है। मंदिरों पर हमले और सुरक्षा के नाम पर जबरन वसूली के मामले भी सामने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है और कनाडा सरकार से इस पर सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है। इस बीच, भारतीय खुफिया एजेंसियां कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं और इन घटनाओं को दोनों देशों के रिश्तों में एक गंभीर बाधा मान रही हैं।
ट्रूडो सरकार की भूमिका और राजनीतिक स्थिति
खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरमी के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की राजनीतिक मजबूरियां बताई जा रही हैं। कनाडा में अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर ट्रूडो को सांसद जगमीत सिंह के समर्थन की जरूरत है, जो खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम माने जाते हैं। इसीलिए ट्रूडो इन समूहों का समर्थन बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में भी गिरावट देखी जा रही है। 2023 में, कनाडा ने भारत पर खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्तता के आरोप लगाए थे, जिससे भारत और कनाडा के रिश्ते बेहद खराब हो गए। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, और कनाडा में भारतीय समुदाय के खिलाफ खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों में तेजी आ गई है।
निष्कर्ष: दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों से भारतीय और स्थानीय समुदाय के बीच असुरक्षा और भय का माहौल है। भारत और कनाडा के संबंध पहले ही तनावपूर्ण स्थिति में हैं, और ट्रूडो सरकार की कथित निष्क्रियता इसे और बिगाड़ सकती है। खालिस्तानी समर्थकों का बढ़ता असर न केवल कनाडा के आंतरिक सुरक्षा और सामुदायिक संरचना के लिए बल्कि वैश्विक राजनयिक संबंधों के लिए भी एक गंभीर चुनौती बना हुआ है।