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सुप्रीम कोर्ट में यूपी पुलिस को फटकार: मामला और पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर 2024 को उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि पुलिस को अपनी पावर का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। यह मामला अनुराग दुबे नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिन पर विभिन्न धाराओं में कई FIR दर्ज हैं।
मामले की मुख्य घटनाएं:
- पृष्ठभूमि:
अनुराग दुबे पर IPC की धारा 323, 386, 447, 504, और 506 के तहत मामले दर्ज हैं। दुबे ने इन FIR को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने दुबे को जांच में सहयोग करने को कहा था और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। - यूपी पुलिस का रवैया:
कोर्ट ने देखा कि यूपी पुलिस लगातार याचिकाकर्ता पर एक के बाद एक FIR दर्ज कर रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस इस तरह से अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रही है और “खतरनाक क्षेत्र” में प्रवेश कर रही है। जस्टिस सूर्यकांत ने चेतावनी दी कि यदि दुबे को किसी भी प्रकार से परेशान किया गया तो डीजीपी के खिलाफ ऐसा कठोर आदेश पारित किया जाएगा जिसे वे जिंदगीभर याद रखेंगे। - पुलिस की कार्यवाही पर सवाल:
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस बार-बार नए केस दर्ज कर रही है। कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया और कहा कि यह एक सिविल विवाद की तरह लग रहा है, लेकिन पुलिस इसे आपराधिक रंग दे रही है। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि सिर्फ सत्ता और अधिकार का आनंद लेना उचित नहीं है। - यूपी सरकार का पक्ष:
यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी ने बताया कि याचिकाकर्ता को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। उन्होंने केवल एक एफिडेविट जमा किया। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह संभव है कि याचिकाकर्ता को डर हो कि पुलिस उनके खिलाफ फिर से कोई नया मामला दर्ज कर सकती है।
कोर्ट की टिप्पणियां और निर्देश:
- पुलिस को चेतावनी:
कोर्ट ने कहा कि अगर दुबे को गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस हो तो पहले कोर्ट से अनुमति ली जाए। यदि बिना अनुमति के गिरफ्तार किया गया तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन भी शामिल है। - डिजिटल नोटिस का निर्देश:
कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि अब से नोटिस डिजिटल माध्यम से भेजे जाएं। दुबे के वकील ने बताया कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला, इस पर कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि दुबे के मोबाइल नंबर पर संदेश भेजें।
न्यायपालिका का रुख:
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून का पालन सभी के लिए समान है और किसी भी सरकारी संस्था को अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट की यह सख्ती, न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख यह दर्शाता है कि न्यायपालिका सत्ता के दुरुपयोग पर सख्त नजर रखे हुए है। यूपी पुलिस को दिए गए निर्देश प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी एक संदेश है कि वे कानून के दायरे में रहकर ही काम करें।