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AIIMS बिलासपुर और IIIT ऊना का सहयोग: स्वदेशी चिकित्सा उपकरण तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम

AIIMS बिलासपुर और IIIT ऊना का सहयोग: स्वदेशी चिकित्सा उपकरण तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए एम्स बिलासपुर और आईआईआईटी ऊना ने मिलकर स्वदेशी चिकित्सा उपकरण विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता 12 दिसंबर 2024 को एम्स बिलासपुर के कार्यकारी निदेशक प्रो. वीर सिंह नेगी और आईआईआईटी ऊना के निदेशक प्रो. मनीष गौड़ के बीच हुआ। समझौते का उद्देश्य इस समझौते का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में स्वदेशी तकनीक का विकास करना है, जिससे मरीजों को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। इसके तहत फोरेंसिक अध्ययन, खाद्य गुणवत्ता परीक्षण, और डेटा-संचालित रोकथाम स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ विभिन्न विभागों में इस्तेमाल होने वाले चिकित्सा उपकरणों का निर्माण किया जाएगा। कैसे होगा उपकरणों का निर्माण? एम्स बिलासपुर के विभिन्न विभागों में उपयोग होने वाले उपकरणों की जानकारी और आवश्यकताओं का डेटा आईआईआईटी ऊना को प्रदान किया जाएगा। इसके आधार पर आईआईआईटी ऊना उन्नत तकनीक का उपयोग कर उपकरण तैयार करेगा। यह कदम आयातित चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता को कम करेगा और देश में तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा। अन्य क्षेत्रों में सहयोग इस समझौते के तहत: फोरेंसिक अध्ययन: अपराध और अन्य मामलों में उन्नत तकनीक का उपयोग। खाद्य गुणवत्ता परीक्षण: खाद्य पदार्थों की शुद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना। डेटा-संचालित स्वास्थ्य सेवाएं: बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए डेटा का विश्लेषण। समझौते का महत्व यह समझौता हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। स्वदेशी उपकरणों के निर्माण से आयातित उपकरणों की लागत कम होगी और उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक पहुंच सकेंगी। समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति समझौता ज्ञापन साइन करने के दौरान एम्स बिलासपुर से अधिष्ठाता शोध अनुपम पराशर, प्रो. रुपाली परलेवार, प्रो. निधि पुरी, प्रो. दिनेश वर्मा, और लैफ्टिनेंट कर्नल एम. हरिहरण उपस्थित रहे। आईआईआईटी ऊना की ओर से आर.के. वर्मा और अन्य अधिकारियों ने भाग लिया। स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए आयाम यह पहल न केवल हिमाचल प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। चिकित्सा और प्रौद्योगिकी का यह संगम आने वाले समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए एम्स बिलासपुर और आईआईआईटी ऊना ने मिलकर स्वदेशी चिकित्सा उपकरण विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता 12 दिसंबर 2024 को एम्स बिलासपुर के कार्यकारी निदेशक प्रो. वीर सिंह नेगी और आईआईआईटी ऊना के निदेशक प्रो. मनीष गौड़ के बीच हुआ।

समझौते का उद्देश्य

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में स्वदेशी तकनीक का विकास करना है, जिससे मरीजों को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। इसके तहत फोरेंसिक अध्ययन, खाद्य गुणवत्ता परीक्षण, और डेटा-संचालित रोकथाम स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ विभिन्न विभागों में इस्तेमाल होने वाले चिकित्सा उपकरणों का निर्माण किया जाएगा।

कैसे होगा उपकरणों का निर्माण?

एम्स बिलासपुर के विभिन्न विभागों में उपयोग होने वाले उपकरणों की जानकारी और आवश्यकताओं का डेटा आईआईआईटी ऊना को प्रदान किया जाएगा। इसके आधार पर आईआईआईटी ऊना उन्नत तकनीक का उपयोग कर उपकरण तैयार करेगा। यह कदम आयातित चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता को कम करेगा और देश में तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।

अन्य क्षेत्रों में सहयोग

इस समझौते के तहत:

  1. फोरेंसिक अध्ययन: अपराध और अन्य मामलों में उन्नत तकनीक का उपयोग।
  2. खाद्य गुणवत्ता परीक्षण: खाद्य पदार्थों की शुद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
  3. डेटा-संचालित स्वास्थ्य सेवाएं: बीमारियों की रोकथाम और उपचार के लिए डेटा का विश्लेषण।

समझौते का महत्व

यह समझौता हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। स्वदेशी उपकरणों के निर्माण से आयातित उपकरणों की लागत कम होगी और उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक पहुंच सकेंगी।

समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

समझौता ज्ञापन साइन करने के दौरान एम्स बिलासपुर से अधिष्ठाता शोध अनुपम पराशर, प्रो. रुपाली परलेवार, प्रो. निधि पुरी, प्रो. दिनेश वर्मा, और लैफ्टिनेंट कर्नल एम. हरिहरण उपस्थित रहे। आईआईआईटी ऊना की ओर से आर.के. वर्मा और अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।

स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए आयाम

यह पहल न केवल हिमाचल प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है। चिकित्सा और प्रौद्योगिकी का यह संगम आने वाले समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।

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