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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 को लेकर बड़ा हंगामा, मारपीट और बहस के बाद कार्यवाही स्थगित
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 की बहाली के प्रस्ताव को लेकर काफी विवाद हुआ। गुरुवार को जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, तो इंजीनियर रशीद के भाई और विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने अनुच्छेद 370 के समर्थन में बैनर लहराया। इस पर भाजपा के नेता सुनील शर्मा ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद दोनों के बीच बहस बढ़कर मारपीट तक पहुंच गई। इस दौरान सदन में जमकर लात-घूंसे चले और धक्का-मुक्की हुई, जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
अनुच्छेद 370 बहाली का प्रस्ताव और विवाद
अनुच्छेद 370 की बहाली का प्रस्ताव सबसे पहले पीडीपी नेता वहीद पारा ने पेश किया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे को बहाल करने की मांग की। यह प्रस्ताव 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के विरोध में पीडीपी के रुख का प्रतीक था। इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव को केवल “प्रतीकात्मक” बताते हुए खारिज कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि यह प्रस्ताव केवल जनता का ध्यान खींचने के लिए था।
भाजपा का विरोध और बहस की तीव्रता
भाजपा ने अनुच्छेद 370 की बहाली के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। जब पीडीपी और अन्य विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, तो भाजपा विधायकों ने ‘5 अगस्त जिंदाबाद’ के नारे लगाए, जो 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की तारीख का प्रतीक है। भाजपा नेताओं ने इसे जम्मू-कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण दिन बताया, जिसने राज्य को देश के अन्य हिस्सों के साथ समान स्तर पर लाने में भूमिका निभाई।
राजनीतिक महत्व और विभाजित जनादेश
इस प्रस्ताव पर बहस ने जम्मू-कश्मीर के हाल के चुनावी परिणामों के विभाजित जनादेश को भी दर्शाया। कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने विधानसभा में 49 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 29 सीटें मिलीं। यह बहस एक दशक के लंबे अंतराल के बाद निर्वाचित सरकार की वापसी के दौरान हो रही है, और यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 370 का मुद्दा अभी भी राज्य में एक संवेदनशील और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है।
इस तरह, विधानसभा में अनुच्छेद 370 पर बहस ने राज्य की राजनीति में एक नई दिशा देने का संकेत दिया है, जहां विभिन्न दल इस मुद्दे पर अपनी-अपनी स्थिति को लेकर स्पष्ट हैं।