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Latest News Update :महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद नेतृत्व पर सस्पेंस, एकनाथ शिंदे ने रखी बड़ी मांग

महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद नेतृत्व पर सस्पेंस, एकनाथ शिंदे ने रखी बड़ी मांग

महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद नेतृत्व पर सस्पेंस, एकनाथ शिंदे ने रखी बड़ी मांग

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन) की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि, यह लगभग तय हो गया है कि कार्यकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस बार सीएम नहीं बनेंगे। उनकी जगह नए मुख्यमंत्री का चेहरा चुनने की प्रक्रिया जारी है।

एकनाथ शिंदे की बड़ी मांगें

दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना की ओर से 12 मंत्री पद, विधान परिषद अध्यक्ष पद और कुछ महत्वपूर्ण विभागों की मांग रखी। साथ ही, उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि पालक मंत्री की जिम्मेदारी बांटते समय शिवसेना का उचित सम्मान सुनिश्चित किया जाए।

शिवसेना का पक्ष

बैठक के बाद शिंदे ने कहा कि शिवसेना महायुति के साथ मजबूती से खड़ी है। उन्होंने अमित शाह और भाजपा नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए कहा कि गठबंधन में सभी निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।

“लाडला भाई” का बयान

एएनआई से बातचीत में शिंदे ने कहा, “महायुति के मुख्यमंत्री को लेकर कोई बाधा नहीं है। यह ‘लाडला भाई’ दिल्ली आ गया है और ‘लाडला भाई’ मेरे लिए किसी भी पद से ऊंचा है।” शिंदे ने स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए हर फैसले का सम्मान करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिंदे का रुख

मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिंदे ने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा है कि अगर मेरी वजह से सरकार बनाने में कोई बाधा आती है, तो निर्णय लेने में झिझक न करें। आप जो भी निर्णय लेंगे, वह मुझे स्वीकार होगा।”

महायुति की रणनीति

इस बीच, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और शिंदे ने एक साथ अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, उपमुख्यमंत्री पद और मंत्री पदों को लेकर भी चर्चा हुई।

क्या हो सकता है आगे?

  • शिवसेना के लिए महत्वपूर्ण विभागों और मंत्री पदों का आवंटन होने की संभावना है।
  • भाजपा अपने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जल्द ही घोषणा कर सकती है।
  • अजित पवार गुट और शिवसेना को साथ रखते हुए सत्ता संतुलन बनाए रखना भाजपा की प्राथमिकता होगी।

महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटनाक्रम महायुति के स्थायित्व और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा का समय है। सभी की नजरें अब नए मुख्यमंत्री के चयन और गठबंधन की कार्यशैली पर हैं।

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