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Latest Online Update:उद्धव ठाकरे ने एनडीए में वापसी की अटकलों पर लगाया विराम, बीजेपी और शिंदे पर साधा निशाना

उद्धव ठाकरे ने एनडीए में वापसी की अटकलों पर लगाया विराम, बीजेपी और शिंदे पर साधा निशाना

उद्धव ठाकरे ने एनडीए में वापसी की अटकलों पर लगाया विराम, बीजेपी और शिंदे पर साधा निशाना

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर गरमाहट आ गई है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी स्थिति में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में वापसी नहीं करेंगे। उद्धव ने 2019 में बीजेपी से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाई थी, लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत ने उनकी सरकार को गिरा दिया और शिवसेना के अधिकांश विधायकों का समर्थन शिंदे के साथ हो गया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे और बीजेपी के कारण उन्हें जो राजनीतिक चोटें मिली हैं, वे अब भी ताजा हैं, और इसीलिए बीजेपी के साथ फिर से जुड़ने का सवाल ही नहीं उठता।

बीजेपी और शिंदे से नाराज़ उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 2014 में सबसे पहले गठबंधन तोड़ने वाली पार्टी बीजेपी थी, जबकि 2019 में बीजेपी ने उन्हें धोखे में रखा और मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर विवाद को जन्म दिया। उद्धव ने बीजेपी पर शिवसेना को तोड़ने और उन्हें राजनीतिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने न केवल उनकी पार्टी को कमजोर किया बल्कि उनके परिवार पर भी व्यक्तिगत हमले किए। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने मेरे बेटे को बदनाम किया और मुझे नकली संतान कहा गया। ऐसे में क्या प्रधानमंत्री मोदी एक नकली संतान के साथ हाथ मिलाएंगे?”

शिंदे की बगावत और उद्धव का दर्द

उद्धव ठाकरे ने 2022 में एकनाथ शिंदे द्वारा की गई बगावत को भी याद किया। उन्होंने बिना शिंदे का नाम लिए कहा कि महाराष्ट्र की जनता गद्दारों को सबक सिखाना जानती है। उद्धव ने शिंदे को अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की देन बताया और कहा कि शिंदे आज जो कुछ भी हैं, वो उनके पिता की वजह से हैं। उद्धव ने यह भी कहा कि बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने में शिंदे का समर्थन किया था, जिससे वह अब तक आहत हैं।

सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस से मतभेद

उद्धव ठाकरे की शिवसेना हमेशा से ही हिंदुत्व और सावरकर के मुद्दे पर कट्टरपंथी विचारधारा के करीब रही है। कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार में रहने के बावजूद, उद्धव ने हमेशा सावरकर का समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस इस मुद्दे पर शिवसेना से भिन्न विचार रखती है। सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के बीच मतभेद स्पष्ट हैं, लेकिन उद्धव ने बीजेपी के साथ किसी भी गठबंधन की संभावना को नकारते हुए कहा कि वह कांग्रेस के साथ वैचारिक मतभेदों के बावजूद महाविकास अघाड़ी में बने रहेंगे।

चुनावी सरगर्मी के बीच गठबंधन पर विराम

अगामी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अटकलें जारी हैं। उद्धव ठाकरे का मानना है कि यदि इंडिया गठबंधन (एमवीए) सत्ता में आता है, तो वह मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, कांग्रेस भी महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री चाहती है। इसी राजनीतिक दांव-पेच के बीच, ऐसी खबरें भी थीं कि चुनावों के बाद उद्धव बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि वे न ही बीजेपी के साथ जाएंगे और न ही शिंदे को फिर से अपने साथ मिलाएंगे।

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