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दिल्ली चुनाव से रामनिवास गोयल ने किया किनारा, अरविंद केजरीवाल बोले- ‘AAP को उनके मार्गदर्शन की हमेशा जरूरत रहेगी’
दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है, जब शाहदरा से आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ विधायक और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। यह फैसला आगामी 2025 दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले लिया गया है और इसे आम आदमी पार्टी के लिए एक अहम क्षण माना जा रहा है।
रामनिवास गोयल का राजनीतिक सफर
रामनिवास गोयल का राजनीतिक सफर दिल्ली की राजनीति में काफी महत्वपूर्ण रहा है। वे 1993 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। हालांकि, बाद में उन्होंने BJP से अलग होकर 2013 में AAP का दामन थाम लिया।
2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में, गोयल ने AAP के टिकट पर शाहदरा सीट से जीत हासिल की और अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता के दम पर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व निभाया।
चुनावी राजनीति से अलग होने की वजह
गोयल ने उम्र और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चुनावी राजनीति से दूर रहने का निर्णय लिया। इस संदर्भ में उन्होंने AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक भावनात्मक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने अब तक के सफर के लिए आभार व्यक्त किया और पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
गोयल ने लिखा:
“पिछले 10 वर्षों से विधायक और विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपने कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक निभाया है। अब आयु और स्वास्थ्य के कारण स्वयं को चुनावी राजनीति से अलग करना चाहता हूं। हालांकि, मैं पार्टी में रहकर सेवा करता रहूंगा।”
अरविंद केजरीवाल की प्रतिक्रिया
गोयल के इस निर्णय पर अरविंद केजरीवाल भावुक हो गए। उन्होंने कहा:
“रामनिवास गोयल का निर्णय पार्टी के लिए एक भावुक क्षण है। वे हमारे परिवार के अभिभावक थे, हैं, और हमेशा रहेंगे। उनके अनुभव और मार्गदर्शन की हमें भविष्य में भी जरूरत रहेगी।”
राजनीतिक प्रभाव
गोयल के इस फैसले से AAP को चुनावी रणनीति में बदलाव करना होगा। उनका राजनीतिक अनुभव और शाहदरा में लोकप्रियता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण थी। हालांकि, गोयल ने पार्टी में सक्रिय रहकर मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन उनके चुनाव न लड़ने से शाहदरा सीट पर नए उम्मीदवार की चुनौती खड़ी हो गई है।
भाजपा से AAP तक का सफर
रामनिवास गोयल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भाजपा से की थी। 1993 में उन्होंने BJP के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन बाद में उनकी विचारधारा में बदलाव आया, और उन्होंने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया। 2015 और 2020 में उन्होंने BJP को शाहदरा सीट पर हराकर अपनी मजबूत पकड़ साबित की।
गोयल का यह निर्णय दिल्ली की राजनीति और AAP के भीतर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।