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देवउठनी एकादशी: धार्मिक मान्यता, महत्व और शुभ कार्यों की शुरुआत
देवउठनी एकादशी, जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है और इस वर्ष यह 12 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस तिथि के साथ ही चतुर्मास समाप्त होता है और सभी प्रकार के शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है, जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि। राजस्थान सहित पूरे भारत में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और इसी के चलते बाजारों में रौनक भी दिखाई देने लगती है।
तिथि और समय
द्रिक पंचांग के अनुसार, देवउत्थान एकादशी की तिथि 11 नवंबर 2024 को शाम 6:46 बजे से शुरू होकर 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
धार्मिक मान्यता
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम (चतुर्मास) के बाद जागते हैं। इस दौरान, देवशयनी एकादशी (जो आषाढ़ माह में आती है) से लेकर देवउठनी एकादशी तक सभी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। मान्यता है कि इन चार महीनों में किसी भी शुभ कार्य को करने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं, जिससे अनहोनी होने की संभावना रहती है। देवउठनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु पुनः अपने कार्यों में संलग्न हो जाते हैं, इसलिए इसे अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है।
शुभ कार्यों की शुरुआत
देवउठनी एकादशी के बाद से शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि सभी प्रकार के शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। यह एकादशी विवाह समारोहों के आरंभ का प्रतीक होती है, इसलिए लोग देवउठनी एकादशी के दिन से ही विवाह की तैयारियों में जुट जाते हैं।
राजस्थान में देवउठनी एकादशी का उत्साह
राजस्थान में देवउठनी एकादशी के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही बाजारों में भी खरीदारी के लिए भारी भीड़ देखी जाती है। शादी-ब्याह की तैयारियों की वजह से बाजारों में चमक बढ़ जाती है और लोग जमकर खरीदारी करते हैं।
व्रत और पूजा विधि
देवउठनी एकादशी पर भक्त भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का पालन करते हैं। इस दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु के समक्ष दीप प्रज्वलित किया जाता है और विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। भक्त अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार पूजा करते हैं और अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है।
देवउठनी एकादशी का हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व है, और इस दिन का पालन धार्मिक नियमों के अनुसार करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।