Related Articles
महराजगंज में पराली जलाने की घटनाएं शुरू, प्रशासन ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए
महराजगंज जनपद में धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने की घटनाएं शुरू हो गई हैं, जिसके चलते प्रशासन ने इस पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। धान की कटाई के बाद कई किसान फसल अवशेषों को जलाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और आसपास के पर्यावरण को नुकसान होता है। इसे रोकने के लिए प्रशासन ने नए कदम उठाए हैं, जिसमें किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने से लेकर सख्त कार्रवाई करने तक के प्रावधान शामिल हैं।
पराली जलाने पर सख्ती: जुर्माना और सम्मान निधि से वंचित करने की प्रक्रिया
जनपद में लगभग एक लाख 65 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती होती है, और अब कटाई का समय आ गया है। कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसे रोकने के लिए जिला प्रशासन ने अब तक 102 किसानों पर जुर्माना भी लगाया है। पराली जलाने वाले किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। डीएम के निर्देश पर कृषि विभाग, एसडीएम और तहसीलदार गांव-गांव जाकर किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
सैटेलाइट से निगरानी और स्थल पर कार्रवाई
पराली जलाने की रोकथाम के लिए सैटेलाइट का उपयोग किया जा रहा है, जिससे आसानी से पता चल जाता है कि किस गांव में पराली जलाने की घटना हो रही है। सैटेलाइट से मिली जानकारी के आधार पर राजस्व विभाग की टीम उस क्षेत्र का दौरा करती है और स्थलीय परीक्षण के बाद जुर्माना और अन्य कार्रवाई करती है।
ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी, निगरानी टीमें सक्रिय
पराली जलाने की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने नई पहल की है, जिसमें ग्राम प्रधानों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है। अब यदि किसी गांव में पराली जलाने की घटना होती है, तो ग्राम प्रधान को इसकी सूचना संबंधित लेखपाल को देनी होगी, ताकि संबंधित किसान पर नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।
नियंत्रण के लिए अधिकारियों की नियुक्ति
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सैटेलाइट निगरानी के साथ ही जिलास्तर पर विभिन्न अधिकारियों की टीमों की भी तैनाती की गई है। जिला स्तर पर एडीएम, तहसील स्तर पर एसडीएम, और विकास खंड स्तर पर बीडीओ के नेतृत्व में कृषि, राजस्व, पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। सभी थानाध्यक्षों को भी अपने क्षेत्र में भ्रमण कर पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। पराली जलाने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 के तहत पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली की जा रही है, जिसमें 2 एकड़ से कम क्षेत्र पर 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ पर 5000 रुपये, और 5 एकड़ से अधिक पर 15000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
डीएम के निर्देश और किसानों को जागरूक करने की पहल
डीएम ने सभी एसडीएम, बीडीओ, और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर पराली जलाने पर सख्ती से रोक लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि न्याय पंचायत स्तर पर जागरूकता गोष्ठियां आयोजित की जाएं, और विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार कर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बीडीओ को गोशालाओं तक पराली पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके साथ ही, तहसीलों में हार्वेस्टर मालिकों की बैठक आयोजित कर, पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उनसे सहयोग की अपील की जा रही है।
निचलौल में 12 किसानों को नोटिस
निचलौल तहसील में 12 किसानों को पराली जलाने के आरोप में नोटिस दिया गया है। तहसीलदार राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इन किसानों ने पराली जलाने पर प्रतिबंध के बावजूद इसे जलाया, जिसके बाद हल्का लेखपाल की रिपोर्ट पर इन किसानों को नोटिस भेजी गई है। उन्होंने बताया कि सोमवार को बहरौली गांव में एक किसान के खेत में पराली जलाते समय उन्होंने खुद पहुंचकर आग बुझवाई।
इस प्रकार, महराजगंज में पराली जलाने पर सख्ती से रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन का उद्देश्य किसानों को वैकल्पिक समाधान प्रदान कर पराली जलाने की प्रथा को समाप्त करना है, जिससे प्रदूषण कम हो और पर्यावरण सुरक्षित रहे।