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सुप्रीम कोर्ट में शख्स ने किया दावा: ‘कोई मशीन से कर रहा है मेरे दिमाग का नियंत्रण’, जजों ने याचिका को बताया विचित्र
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक अजीबो-गरीब याचिका पेश की गई, जिसमें एक व्यक्ति ने दावा किया कि कोई मशीन से उसके दिमाग को नियंत्रित कर रहा है। जैसे ही यह याचिका न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के सामने आई, जजों ने इसे असामान्य और विचित्र करार दिया। कोर्ट ने इस याचिका पर कोई दखल देने की गुंजाइश नहीं पाई और इसे खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता, जो एक शिक्षक हैं, ने दावा किया कि कुछ लोग सेंट्रल फॉरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (CFSL) की ‘ह्यूमन ब्रेन रीडिंग’ मशीन का इस्तेमाल करके उनके दिमाग पर नियंत्रण कर रहे हैं। उन्होंने अदालत से इस कथित मशीन को निष्क्रिय करने का आदेश देने की मांग की थी।
इस मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में पहले भी याचिका दाखिल की गई थी, जहाँ CFSL और CBI ने हलफनामा देकर कहा था कि याचिकाकर्ता पर कोई फॉरेंसिक जांच नहीं की गई है, जिससे मशीन को निष्क्रिय करने की आवश्यकता ही नहीं थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में याचिका खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की समस्या को समझने के लिए उसकी मातृभाषा में उससे संवाद की व्यवस्था की जाए। SCLSC ने इसके बाद रिपोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता “दिमाग नियंत्रित करने वाली” इस कथित मशीन को निष्क्रिय करवाना चाहता है।
इस असामान्य मामले पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से मना कर दिया, यह मानते हुए कि इस याचिका का कोई ठोस आधार नहीं है और इसे खारिज कर दिया।