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आत्मसमर्पण करने जा रहे AAP विधायक चैतर वसावा पुलिस हिरासत में, समर्थकों समेत 100 गिरफ्तार
गुजरात के नर्मदा जिले में आम आदमी पार्टी (AAP) के आदिवासी विधायक चैतर वसावा और उनके लगभग 100 समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वसावा भरूच जिले के अंकलेश्वर थाने में आत्मसमर्पण करने जा रहे थे, लेकिन नवगाम में उन्हें पुलिस ने रोक दिया।
एफआईआर के पीछे की कहानी: क्या है मामला?
विधायक चैतर वसावा के खिलाफ 10 दिसंबर 2024 को भरूच के अंकलेश्वर जीआईडीसी (गुजरात औद्योगिक विकास निगम) के एक औद्योगिक परिसर में अनधिकृत प्रवेश करने और सरकारी अधिकारियों के कार्य में बाधा डालने का आरोप है।
- घटना का संदर्भ:
- अंकलेश्वर के एक औद्योगिक संयंत्र में बॉयलर फटने से चार श्रमिकों की मौत हो गई थी।
- वसावा मृतक श्रमिकों के परिजनों से मिलने के लिए फैक्ट्री परिसर पहुंचे थे।
- आरोप:
- वसावा और उनके समर्थकों ने पुलिस और बचाव अभियान में लगे सरकारी कर्मचारियों को उनके काम में बाधा पहुंचाई।
- फैक्ट्री अधिकारियों को धमकाने और सरकार व पुलिस के खिलाफ रिश्तेदारों को भड़काने के भी आरोप लगे।
विधायक चैतर वसावा का बयान: ‘मुझे फंसाया जा रहा है’
विधायक वसावा ने हिरासत में लिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
- “मैं आत्मसमर्पण करने जा रहा था, लेकिन पुलिस ने जानबूझकर मुझे रास्ते में ही रोक लिया।”
- “मुझे गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। मैं हमेशा अपने लोगों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ता रहूंगा, चाहे मुझे जेल में डाल दिया जाए।”
पुलिस की प्रतिक्रिया: कानून-व्यवस्था की चिंता
डेडियापाड़ा थाने के निरीक्षक प्रकाश पंड्या ने वसावा की हिरासत को लेकर बयान दिया:
- “विधायक वसावा बिना सूचना के बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पुलिस के समक्ष पेश होने जा रहे थे। इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना थी।”
- “एहतियातन उन्हें और उनके समर्थकों को नवगाम में हिरासत में लिया गया।”
एफआईआर के मुख्य बिंदु
विधायक चैतर वसावा पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
- मुख्य आरोप:
- अनधिकृत प्रवेश।
- सरकारी कर्मचारियों के कार्य में बाधा डालना।
- धमकी देना और फैक्ट्री अधिकारियों को डराना।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और प्रभाव
चैतर वसावा गुजरात के आदिवासी समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं और डेडियापाड़ा से आप विधायक हैं।
- उनकी गिरफ्तारी ने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है।
- आम आदमी पार्टी ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया और वसावा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को बदले की कार्रवाई बताया।
विधायक और उनके समर्थकों की हिरासत पर विवाद
- वसावा के लगभग 100 समर्थकों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया।
- पुलिस का कहना है कि भीड़ कानून-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकती थी।
- समर्थकों ने हिरासत को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।
मामले का असर और आगे की दिशा
- विधायक वसावा ने स्पष्ट किया कि वह अपने लोगों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
- पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी।
- राजनीतिक दल और मानवाधिकार संगठन इस घटना पर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
निष्कर्ष
चैतर वसावा की हिरासत ने गुजरात की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। यह मामला केवल एक विधायक की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों और न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। पुलिस और प्रशासन के इस कदम पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यह न्याय दिलाने के प्रयासों में बाधा है या कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जरूरत। अब देखना होगा कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या वसावा अपने आरोपों से मुक्त हो पाते हैं।