Breaking News

कानून के किस अधिकार के तहत ACC और AMBUJA इकाई को पूर्व लिखित सूचना के बिना लॉकडाउन किया गया-अधिवक्ता दिक्षित मेहता

ACC और AMBUJA सीमेंट फैक्टरियों को बिना सूचना बंद करने को बताया गैर कानूनी

हिमाचल डेस्क – पिछले 40 दिनों में श्री सीमेंट और अल्ट्रा सीमेंट के संयंत्रों में सीमेंट की मांग उनके नियमित निर्माण के लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ गई है और इस तरह के बदलाव का मुख्य कारण हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर और सोलन में एसीसी और अंबुजा सीमेंट कारखानों का अचानक बंद होना है।यह जानकारी “कॉरपोरेट लॉयर एवम मैनेजिंग पार्टनर डक्टस लीगल” अधिवक्ता दिक्षित मेहता ने प्रैस को जारी ब्यान में दी।

15 दिसंबर से बंद हैं कारखाने

उन्होंने बताया कि अडानी समूह ने सितंबर माह 2022 में दोनों कारखानों का अधिग्रहण किया था और अधिग्रहण करने के बाद ट्रकों की टैरिफ दरों के संबंध में विवाद के कारण अडानी समूह के स्वामित्व वाले संयंत्र 15 दिसंबर से बंद हैं। अधिग्रहण से पहले दोनों फैक्ट्रियां प्रति किमी,प्रति टन के लिए 10.59 रुपये टैरिफ दर का भुगतान कर रही थीं, हालांकि, अडानी समूह का कहना है कि वे 6 रुपये से अधिक की राशि का भुगतान नहीं कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें….OPS ने कांग्रेस को सत्ता में पहुंचाया,सत्तासीन कांग्रेस ने अपना वादा निभाया

यूनियनों और कंपनी के बीच नहीं निकला समाधान

उन्होंने बताया कि प्रति किमी,प्रति टन को लेकर दोनों यूनियनों और कंपनी के बीच कोई सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं निकला तो अदानी ग्रुप ने 15 दिसंबर, 2022 को दोनों सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया ।इस मनमानी और थोपे गए लॉकडाउन ने न केवल श्रमिकों और ट्रक यूनियनों बल्कि बड़े पैमाने पर नागरिकों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 50हजार से ज्यादा लोगों के जीवन को प्रभावित करने का अनुमान है।

ये भी पढ़ें….हिमाचल में भारी बर्फबारी से जनजीवन अस्त व्यस्त, 200 सड़कें बंद !

हिमाचल सरकार ने कहा -उन्हें किसी कदम की जानकारी नहीं दी गई

उन्होंने कहा की इस घटना की श्रृंखला में कानूनी मुद्दा यह है, कि कानून के किस अधिकार के तहत ऐसी किसी भी इकाई को पूर्व लिखित सूचना के बिना लॉकडाउन किया जा सकता है वहीं पर हिमाचल सरकार का कहना है कि उन्हें भी ऐसे किसी कदम की जानकारी नहीं दी गई।अब सवाल यह उठता है कि औद्योगिक संबंध कोड के अनुसार किसी भी नियोक्ता के लिए किसी भी इकाई को बंद करने से पहले 14 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य बनाता है। पिछले औद्योगिक विवाद अधिनियम में भी पिछले श्रम कानून की धारा 22 के तहत समान प्रावधान अनिवार्य था।

लॉकडाउन के लिए कारखानों के श्रमिकों को मुआवजा दिया जाना चाहिए

देश की माननीय अदालतों ने बार-बार कहा है कि ऐसे किसी भी लॉकडाउन के लिए कारखानों के श्रमिकों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। यह भी समझने वाली बात है कि अधिग्रहण से पहले क्या योजना के तहत ऐसी किसी नीति के बारे में कर्मचारियों को अधिग्रहण के लिए उनकी सहमति लेने से पहले सूचित किया गया था.ऐसी इकाइयों के अचानक बंद होने से न केवल लोगों पर बल्कि सरकार पर भी असर पड़ा है। अनुमान है कि लॉकडाउन के इस छोटे से कार्यकाल में सरकार को भी करोड़ों का भारी नुकसान हुआ है।

About Bhanu Sharma

Check Also

ऐसा लगता है बजट सरकार बचाओ योजना है : सुरेंद्र राठी

  बिहार और आंध्र प्रदेश को तवज्जो, बजट में हरियाणा की अनदेखी पंचकुला 23 जुलाई …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *