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जोशीमठ में जमीन धंसने का सच आया सामने,सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

जोशीमठ भू-धंसाव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग।

नेशनल डेस्क – उत्तराखंड के जोशीमठ में धंसी जमीन को लेकर एक बड़ा दावा सामने आया है। इस घटना से कुछ दिन पहले ठीक उसी जगह आईआईटी कानपुर की रिसर्च टीम पहुंची थी। इस टीम को भू वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा ने लीड किया था। टीम ने इस दौरान एक अहम सर्वे किया था। भू -वैज्ञानिकों के अनुसार जोशीमठ को दोबारा बसाने की बात कहना खतरे से खाली नहीं है। अभी ये बिल्कुल भी रहने के लायक नहीं है।

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जोशीमठ में आखिर क्या हुआ ?

जोशीमठ में भू-धंसाव के मामले दिसंबर से ही आने शुरू हो गए थे। पिछले महीने क्षेत्र में कई जगहों पर भू-धंसाव की घटनाएं आई थीं। मनोहर बाग वार्ड, गांधी वार्ड और सिंधार वार्ड में लोगों ने घरों में दरार आने की बातें कही थीं। नगर क्षेत्र में भू-धंसाव से मकानों के साथ कृषि भूमि के भी प्रभावित होने की घटनाएं आईं। यहां खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी और कई जगहों पर तो खेतों की दरारें एक फीट तक चौड़ी हो गईं।

आखिर जोशीमठ में जमीनें क्यों धंसी ?

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव ने विकराल रूप ले लिया। क्षेत्र के भी वार्डों के घरों दरारें आने से लोग दहशत में आ गए। बुधवार को जेपी कॉलोनी के 50 प्रभावितों को जेपी कंपनी ने और अलग-अलग वार्डों से 16 प्रभावित परिवारों को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया। वहीं, मारवाड़ी में भूमि से लगातार पानी का रिसाव होने से निचले क्षेत्र के भवन भी खतरे की चपेट में आ गए।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्पक्षेप की मांग की

 

जोशीमठ भू-धंसाव मामले में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्पक्षेप की मांग की है। याचिकाकर्ता ने अपील की है कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है और इस संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मामले की सुनवाई के लिए मंगलवार (10 जनवरी) को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।

घटनाओं के बाद प्रशासन हरकत में आया

इन घटनाओं के बाद प्रशासन भी हरकत में आया और चमोली जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त टीम गठित की गई। टीम ने दो दिनों तक नगर में भू-धंसाव से प्रभावित मकानों के सर्वे किया। तहसील प्रशासन, नगर पालिका, आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम ने घर-घर जाकर बारीकी से निरीक्षण किया। जोशीमठ नगर में करीब दो हजार मकान हैं। रविवार तक भू-धंसाव से 600 से ज्यादा मकानों में दरारें आ चुकी थीं।

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से की गई याचिका दायर

दरअसल, जोशीमठ मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिका में दावा किया गया है कि यह जोशीमठ में भू-धंसाव बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुआ है और उन्होंने उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है। सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की, जिस पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद मंगलवार को फिर से याचिका उल्लेख करें।

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