HIMACHAL PRADESH :- 27 फरवरी को तीन राज्यों की 15 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान कराए गए थे जिसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल था । हिमाचल प्रदेश की एक सीट के लिए दो उम्मीदवार थे। इस कारण यहां मतदान कराना पड़ा । भाजपा ने हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को टिकट दिया था।
हिमाचल राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार की जीत के लिए 35 वोट की जरूरत थी। संख्या बल देखा जाए तो कांग्रेस के लिए यह लड़ाई बहुत आसान दिख रही थी। लेकिन यहां पासा पलट गया। जब मतदान के नतीजे सामने आए तो दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे । इसके बाद फैसला पर्ची से हुआ ।
जिसमें हर्ष महाजन जीत गए और उनके जीतने का कारण कांग्रेस के वह छह बागी विधायक बने जिन लोंगो ने क्रॉस वोटिंग की। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था ।
हिमाचल प्रदेश में सियासी उठापटक और दलबदल जारी है। इसकी शुरुआत भी इस साल के राज्यसभा चुनाव से हो गई है जिसमें सत्ताधारी कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी जिसके कारण पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी हार गए। फिर चुनाव के अगले दिन मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बुधवार को बजट पास करने के दौरान व्हिप जारी हुआ और उसके दौरान क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक सदन से गैर हाजिर रहे।
व्हिप के उल्लंघन के चलते गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष ने क्रॉस वोटिंग करने वाले उन सभी छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का बयान सामने आया उन्होंने कहा कि सदस्यता रद्द करने का फैसला जल्दबाजी में हुआ है। उधर राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा भी सक्रिय हो गई है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर राज्यपाल से मुलाकात कर चुके है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
किस कानून के तहत बागी विधायको को अयोग्य घोषित किया गया ?
कांग्रेस के सभी छह बागी विधायक अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी। 28 फरवरी को सबकी बात सुनने के बाद अगले दिन विधानसभा अध्यक्ष ने 30 पेज का आदेश जारी किया है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पठानिया ने कहा, ‘दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली थी। छह विधायक जिन्होंने चुनाव कांग्रेस से लड़ा और दलबदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ याचिका मिली। मैंने उन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है, अब वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं हैं।’
आखिर क्यों रद्द की गई बागी विधायकों की सदस्यता ?
कांग्रेस के छह बागी विधायकों पर आरोप है कि उन्होंने बीजेपी के राज्यसभा प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोटिंग करी । इसके बाद अगले दिन बजट पास करने के दौरान व्हिप जारी होने के बावजूद ये सदन से गैर हाजिर रहे। बागी हुए कांग्रेस के छह विधायकों में देवेंद्र कुमार भुट्टो, राजेंद्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा, सुधीर शर्मा और रवि ठाकुर के नाम शामिल हैं।
राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग करने पर विधायकों की सदस्यता को खतरा नहीं था, लेकिन बजट पारित होने के दौरान कांग्रेस ने विधायकों पर व्हिप जारी किया था। बागी विधायकों की सदस्यता जाने की वजह व्हिप का उल्लंघन बना।