इन याचिकाओं को शीर्ष कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए हुआ तैयार !
नेशनल डेस्क – शादी एक पवित्र बंधन है.और भारतीय संस्कृति में सदियों से ये मान्यता चली आ रही है कि शादी केवल महिला और पुरुष के बीच ही हो सकती है.बता दें कि समाज में सभी तरह के लोग रहते हैं,जिनकी भावनाएं और शरीरिक जरूरतें अलग – अलग होती हैं। आपने बहुत बार देखा होगा कि सेम-सेक्स के लोग भी एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। शादी भी करते हैं ,लेकिन समाज में कानूनी तौर पर उन्हें पति – पत्नी का दर्जा नहीं मिल पाता। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आज सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी 2 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट आज सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी 2 याचिकाओं पर करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट आज सेम सेक्स मैरिज से जुड़ी 2 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। ये दोनों याचिकाएं दिल्ली और केरल हाईकोर्ट में पेंडिंग थीं। इन याचिकाओं को शीर्ष कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।इनमें से एक याचिका पश्चिम बंगाल के सुप्रियो चक्रवर्ती और दिल्ली के अभय डांग ने दायर की है। वे दोनों लगभग 10 साल से एक साथ रह रहे हैं और दिसंबर 2021 में हैदराबाद में शादी कर चुके हैं। अब वे चाहते हैं कि उनकी शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता मिले।
कानूनी रूप से शादी अधूरी ?
सेम -सेक्स में मैरिज करने वाले कपल्स इस बात से हताश रहते हैं कि ,शादी के बाद उन्हें कानूनी रूप से मान्यता नहीं मिलती। इस वजह से समाज में उन लोगों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है.इसी मामले में दूसरी याचिका पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज की है, जो 17 साल से रिलेशनशिप में हैं। उनका दावा है कि वे दो बच्चों की परवरिश एक साथ कर रहे हैं, लेकिन कानूनी रूप से उनकी शादी पूरी नहीं हुई है। इसके चलते ऐसी स्थिति बन गई है, जहां वे अपने बच्चों के कानूनी तौर पर पेरेंट्स नहीं कहला सकते।
क्या कहता है भारतीय कानून ?
असल में भारतीय कानून के हिसाब से महिला और पुरुष के बीच ही शादी हो सकती है। लेकिन इसी कानून में सेम-सेक्स मैरिज को शामिल करने की गुंजाइश तलाश रहे लोगों का तर्क है कि कानून में पत्नी की परिभाषा में उसका जेंडर स्पष्ट नहीं किया गया है। इसी मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम सुनवाई होगी। इसके बाद आपको बता दें कि अगर ‘पत्नी’ शब्द को जेंडर न्यूट्रल मानने की मांग को मंजूरी मिलती है तो समलैंगिकों के बीच शादी को ही कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी बल्कि उनके बीच प्रॉपर्टी के अधिकार, बच्चे को गोद लेने के अधिकार जैसे उलझे कानूनी सवालों पर संशय साफ हो सकेगा।
स्पेशल मैरिज एक्ट को जेंडर न्यूट्रल बनाने की मांग कहाँ तक सही ?
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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिलने से समलैंगिक कपल्स की प्रॉपर्टी, ग्रेच्युटी, गोद लेने, सरोगेसी जैसे मूल अधिकारों पर असर पड़ता है। उन्हें जॉइंट बैंक अकाउंट खुलवाने तक में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन 4 किसी भी दो व्यक्तियों को विवाह करने की इजाजत देता है, लेकिन सब-सेक्शन (C) के तहत सिर्फ पुरुष और महिला ही शादी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसलिए याचिकाओं में मांग की जा रही है कि स्पेशल मैरिज एक्ट को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाए।
इस तरह के मामलों की देश की अदालतों में कई याचिकाएं पेंडिंग
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने समलैंगिक विवाह पर देश के अलग-अलग हाई कोर्ट्स में पेंडिंग मामलों को भी संज्ञान में लिया है। इससे पहले भी ऐसी कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से जवाब मांग चुका है। स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए केवल दिल्ली हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट में ही 9 याचिकाएं दायर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में रद्द किया था 158 साल पुराना कानून
6 सितंबर 2018 सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाले 158 साल पुराने कानून को रद्द कर दिया था। मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ उस समय कानून रद्द करने वाली बेंच में शामिल थे। इस कानून के रद्द होने के बाद होमोसेक्शुएलिटी के बारे में लोगों का नजरिया बदला और सेम सेक्स मैरिज के लिए मजबूत जमीन तैयार हो सकी।
मैरिज रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते समलैंगिक कपल
भारत में अधिकतर लोग अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक शादियां करते हैं। कानून भी उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बनाए गए हैं। इन कानूनों में समलैंगिक विवाह का कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में अक्सर समलैंगिक जोड़े शादी तक नहीं कर पाते ,क्योंकि उन्हें कोई भी कानूनी मान्यता नहीं मिलती। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या राय रखता है,ये आज सुनवाई के बाद साफ़ हो जायेगा।ऐसे में सेम -सेक्स मैरिज करने की चाहत रखने वाले जोड़े शादी नहीं कर पाते। अगर वे रीति-रिवाजों के मुताबिक शादी कर भी लें, तो उसे कानूनी तौर पर रजिस्टर्ड नहीं करवा सकते। ऐसे में इस शादी को कोई कानूनी मान्यता नहीं मिलती।
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