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आखिर क्या है वजह,जिसके चलते सिसोदिया हुए गिरफ्तार ?

क्या है शराब घोटाले के पीछे की कहानी,जिसके चलते सीसोदिया हुए गिरफ्तार !

नेशनल डेस्क-दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का मामला इस वक़्त देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर जहां एक और भाजपा और आप में जंग छिड़ी हुई है, तो वहीं दूसरी और आम आदमी पार्टी देशव्यापी आंदोलन करने की तैयारी में है.बता दें कि सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को शराब घोटाला मामले में आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है.

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सिसोदिया की गिरफ्तारी की वजह

दरसल CBI ने 2021-22 की नई आबकारी नीति लागू करने के मामले में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की है। सबूत मिटाने, खातों में हेरफेर, भ्रष्टाचार, अनुचित लाभ देने और लेने का आरोप भी उनपर लगाया गया है।CBI ने 8 घंटे तक सिसोदिया से लम्बी पूछताछ की जिसके बाद CBI ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई का कहना है कि 2021-22 के लिए आबकारी नीति तैयार करने और कार्यान्वयन दोनों में अनियमितताएं थीं और उसका मकसद आप से जुड़े लोगों को कथित तौर पर लाभ पहुंचाना था.

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22

नई आबकारी नीति के तहत सरकार की योजना के तहत सरकार इस नई नीति के जरिए शराब खरीदने का नया अनुभव देना चाहती थी। सरकारी निगमों से बिक्री को हटा कर निजी हाथों में सौंप दिया गया। होटल के बार, क्लब व रेस्टोरेंट को रात तीन बजे तक शराब परोसने की छूट कुछ नियमों के तहत थी। रेस्टोरेंट व अन्य जगहों के छत व खुली जगह पर शराब परोसने की अनुमति दी गई थी।

उपभोक्ता की पसंद को तवज्जो

इस नीति के तहत उपभोक्ता की पसंद को तवज्जो दी गई थी, और इसके साथ ही दुकानदारों को अपने हिसाब से छूट देने का प्रावधान था। इस वजह से ‘एक बोतल पर एक बोतल मुफ्त’ का भी लाभ दिया गया। जिसके बाद इस नीति पर सवाल भी उठने लगे। विपक्ष की ओर से इस नीति पर कई तरह के सवाल उठाये गए। और भ्र्ष्टाचार के भी आरोप आम आदमी पार्टी पर लगाए।

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नई आबकारी नीति 2021-22 में कब – कब क्या-क्या हुआ ?

17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लागू की थी।
दिल्ली में 32 जोन शराब की दुकान खोलने के लिए बनाए गया था।
हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खोलने की थी मंजूरी।
दिल्ली में नीति लागू होने के बाद कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं।
सरकार का तर्क था कि इससे राजस्व में 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
यह भी सामने आया कि राजस्व बढ़ने की बजाए इसमें काफी कमी आई।

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भ्रष्टाचार के आरोप के बाद दिल्ली सरकार ने वापिस ली नीति

मामले में जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने अपनी नई नीति को ही वापस ले लिया और फिर से निजी हाथों की जगह सरकारी निगमों को शराब बिक्री करने की इजाजत दे गई। यानी कि पूरी योजना को ही सरकार ने वापस ले लिया था। तब से विपक्ष यह सवाल उठा रहा था कि जब आबकारी नीति में भ्रष्टाचार नहीं हुआ था तो पूरी योजना क्यों वापस लेने पर सरकार मजबूर हुई।

 

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