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Refusal to Grant stay on Shubhakaran’s Death: शुभकरण की मौत को लेकर हाईकोर्ट के न्यायिक जांच पर स्टे देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, हरियाणा सरकार को दिया झटका

Refusal to Grant stay on Shubhakaran’s Death: शुभकरण की मृत्य की न्यायिक छानबीन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ अस्वीकृति कर दिया। हालांकि हरियाणा सरकार ने अपनी तर्क में कहा कि जब क्षेत्र की पुलिस ने एफआईआर तहरीर कर ली है तो न्यायिक जांच की अपरिहार्यता नहीं है। बता दें खनौरी बोर्डर के पास 21 फरवरी को अनारक्षित किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच झड़प में उशकी मृत्य हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई हरियाणा को

पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसानों एवं सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष में 22 वर्षीय किसान शुभकरण सिंह की मृत्यु की न्यायिक जांच के आज्ञा पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इन्कार कर दिया। न्यायिक जांच का यह आज्ञा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दिया था।

21 फरवरी को शुभकरण की मौत Refusal to Grant stay on Shubhakaran’s Death

शीर्ष अदालत ने कहा कि सेवामुक्त जज की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा मामले की निगरानी से न्यायसंगत और परिणामदर्शी आएगी। खनौरी के पास 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के बीच टकराव के बाद शुभकरण की मौत हो गई थी। सात मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की विशेष अनुमति याचिका में मुख्य रूप से तर्क दिया है कि जब क्षेत्र की पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच करने के लिए तैयार है, तो जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं था।

हरियाणा सरकार ने अपील में कहा है

इस मामले की जांच में न सिर्फ पूरी तरह से सक्षम है, बल्कि जांच को भी तैयार है। इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में याद रहे कि हाई कोर्ट की पीठ ने हुकुम दिया था कि तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर ही करेंगे।

पांच लाख रुपए का बुक्तान

पंजाब के राज्य में हाई मौत का कारण क्या था और किस हथियार का एसमे इस्तेमाल किया गया था। आंदोलनकारियों पर बल का इस्तेमाल किया गया था, हाई कोर्ट ने हरियाणा-पंजाब सरकार को धिक्कारना था एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसान शुभकरण की मौत के बाद एफआइआर दर्ज करने में देरी पर हरियाणा व पंजाब सरकार को डाँटने लगाते हुए कहा था कि दोनों क्षेत्रों जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने का कोशिश कर रहे हैं।

20 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी Refusal to Grant stay on Shubhakaran’s Death

क्षेत्रों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि मृत्यु स्पष्ट तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है। इस दौरान हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि किसानों पर गोलियां क्यों दूषित करना। हरियाणा सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की हिंसक प्रत्युत्तर में 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे और कई बार पूर्वसूचना के बाद पहले लाठीचार्ज, फिर आंसू गैस, फिर वाटर कैनन का उपयोग किया गया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो रबर की गोलियां चलाई गई।

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