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Sacrifice in Farmer Movement is Not in Vain: किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा – दीपेन्द्र हुड्डा

सिरसा, 1 दिसंबर:

Sacrifice in Farmer Movement is Not in Vain: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने किसान आंदोलन के दौरान 750 शहीद किसान-मजदूरों की याद में आगामी 24 दिसंबर को सिरसा में होने वाली किसान-मजदूर आक्रोश रैली की तैयारियों के लिये कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया और रैली को सफल बनाने के लिए जिम्मेदारियाँ सौंपी। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पूरे देश में बदलाव का माहौल है सिरसा की रैली तय कर देगी कि हरियाणा में सत्ता परिवर्तन की लहर चल रही है।

इस सरकार के अहंकार की मार केवल किसान ही नहीं हर वर्ग पर पड़ी है – दीपेंद्र हुड्डा 

उन्होंने कहा कि अगर सरकार सोचती है कि हरियाणा का किसान, किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए अपने साथियों की कुर्बानियों को भूल जाएगा तो ये सरकार की गलत फहमी है। उसके सीने में अपने साथियों की शहादत का दर्द है और आगामी चुनाव में वो अपने वोट की चोट से सरकार को करारा जवाब देंगे। किसान-मजदूर आक्रोश रैली के जरिए इस सरकार को 750 किसानों के बलिदान की याद दिलाते हुए किसानों व सरकार के बीच हुए समझौते को लागू करने के लिए मजबूर करेंगे।

दीपेन्द्र हुड्डा ने रैली की तैयारियों के लिये कार्यकर्ताओं की मीटिंग ली और जिम्मेदारियाँ सौंपी

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि इतिहास में ये लिखा जाएगा कि अगर किसी सरकार को इतना अहंकार हो जाए कि वो 750 किसानों की बलि ले ले तो आगामी चुनाव में देश के लोग भी इस सरकार की बलि ले लेंगे, यानी उसे सत्ता से बाहर करेंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि इस सरकार के अहंकार की मार केवल किसान ही नहीं हर वर्ग पर पड़ी। किसान आंदोलन के समय हर रोज धरनों से किसानों के शव उनके घर पर वापस आते थे। हर रोज ये सरकार उनकी शहादत का अपमान करती थी। Sacrifice in Farmer Movement is Not in Vain

पूरे देश में बदलाव का माहौल है और सिरसा की रैली तय कर देगी कि हरियाणा में सत्ता परिवर्तन की लहर चल रही – दीपेंद्र हुड्डा

इतना अहंकार कभी किसी सरकार को नहीं हुआ जैसा इस सरकार को हुआ। संसद में जब वे सत्ता में बैठे लोगों से कहते थे कि वो किसानों की बात मान लें तो सत्ताधारी मंत्री तिरस्कार से बोलते थे कि किसान को किसान भी नहीं मानेंगे। उलटे देश के किसानों को देशद्रोही, आतंकवादी जैसे अपशब्द बोलते थे। किसान वो वर्ग है जिसका एक बेटा ट्रैक्टर का स्टेयरिंग पकड़कर देश को खाद्य सुरक्षा देता है तो दूसरा बेटा स्टेनगन पकड़कर देश की सीमाओं पर सुरक्षा प्रदान करता है।

Sacrifice in Farmer Movement is Not in Vain

उन्होंने कहा कि किसान ही नहीं, पंच-सरपंच, ग्रामीण चौकीदार, आढ़ती, देश के लिए मेडल जीतने वाली खिलाड़ी बेटियों तक को अपमानित किया और उनपर लाठियाँ बरसाई। जब देश की खिलाड़ी बेटियां दिल्ली की सड़कों पर न्याय मांग रही थी तो भाजपा के आरोपी सांसद को बचाने के लिये इस सरकार ने दिल्ली की सड़कों पर उन्हें बर्बरता से घसीटा। उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर की रैली इस सरकार के अहंकार को तोड़ने की लड़ाई है।

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