मंडी: खनन माफिया भारी बारिश और बाढ़ के बाद खड्डो और नदियों में आती रेत और बजरी पर नजर बनाए हुए है। इससे यह चीज भी पता चली की खनन इंस्पेक्टर के पास न ही सीज करने की शक्ति है और न ही माइनिंग गार्ड के पास चालान करने की। विभाग के पास ज्यादा स्टाफ न होने की वजह से वो इस पर कोई एक्शन नहीं ले पा रहे है।

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ग्रुप डी में रखकर नही दी चालान काटने की शक्तियां
विभाग के पास 115 माइनिंग गार्ड है, जिनमे से 70 सेवाएं दे रहे है पर ग्रुप डी में रखकर चालान काटने की शक्तियां प्रदान नही की गई है। मंडी में 10 करोड़ से अधिक का राजस्व जाता है लेकिन बारिश या बाढ़ में बहकर आई रेत और बजरी पर खनन माफिया की नजर रहती है। विभाग का कहना है की अगर कोई चालान करता भी है तो न्यायलय में चालान कैंसल हो जाता है।
वहीं विभाग में 14 माइनिंग इंस्पेक्टर है और 34 एसिटेंस इंस्पेक्टर है लेकिन किसी भी इंस्पेक्टर के पास सीज करने की कोई शक्तियां प्रदान नही की गई है। यह सिर्फ चालान ही काट सकते है। विभाग के पास तुरंत पकड़े गए माल को नापने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। उसके लिए भी लोक निर्माण का तकनीकी विशेषज्ञ आता है। इसमें समय लगता है और इसका ही फायदा उठाकर खनन माफिया चांदी काट रहे है।
खनन माफिया पर कसे जाएगी नकेल
माइनिंग गार्ड को क्लास थ्री में पदोनत्त करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इसकी जानकारी उधोग, खनन संसदीय मामले और आयुष मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने दी। विभाग के पास चालान काटने की शक्ति भी आ जाएगी। विभाग में खाली पदों को भरने की तैयारी भी जल्द शुरू होने वाली है। 36 माइनिंग गार्ड के साथ 7 इंस्पेक्टर के पदों को भी भरा जाएगा।