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भोपाल गैस त्रासदी:सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों की अतिरिक्त मुआवजे की याचिका खारिज़ ?

इतिहास का वो काला दिन जिसकी यादें आज भी जहन में ज़िंदा हैं

Bhopal gas tragedy:सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को ख़ारिज कर दिया।बता दें कि इस याचिका में भोपाल गैस पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन से अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई है।कोर्ट ने कहा कि सेलटमेंट को केवल धोखाधड़ी के आधार पर रद्द किया जा सकता है। गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड से जुड़े इस मामले में 2010 में ही उपचारात्मक याचिका दाखिल हुई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में फैसला सुरक्षित रख लिया था।अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के मुताबिक, केंद्र सरकार स्वयं बीमा पॉलिसी जारी करने में विफल रही।

अब आपको बताते हैं कि उस रात आखिर क्या हुआ था ? सरकार की मांग क्या थी ? और पूरा मामला क्या है ?2 -3 दिसंबर 1984 की रात को आखिर हुआ क्या था ?

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2 -3 दिसंबर 1984 की रात क्या हुआ था?

2-3 दिसंबर की आधी रात को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी के कीटनाशक बनाने वाले प्लांट से 40 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इस रिसाव के कारण जहरीली गैस हवा में घुल गई. 42 टन मिथाइल आइसोसाइनेट के टैंक में कहीं से पानी घुस गया .जिसकी वजह से भारी मात्रा में गैस का रिसाव हुआ। और धीरे धीरे ये गैस हवा में घुल गई।

हज़ारों लोग नींद में चल बसे

इसका नतीजा यह हुआ कि अत्यंत जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस हवा में घुल गई। जहरीली गैसों का गुबार उठा और उसने पूरे इलाके को अपने घेरे में ले लिया। कई लोग तो नींद में ही चल बसे। मध्य प्रदेश सरकार के अनुमान के मुताबिक 3,787 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, इससे प्रभावितों की संख्या 5 लाख से अधिक है।

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संभलने का भी नहीं मिला मौका

मिथाइल आइसोसाइनेट गैस काफी जहरीली होती है। सिर्फ तीन मिनट का संपर्क ही जान लेने के लिए काफी है। उस रात सब इतना अचानक हुआ कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला, वहीं डॉक्टर भी नहीं समझ पाए कि पीड़ितों का इलाज कैसे करें। कौनसी दवा दी जाए।

क्या थी केंद्र सरकार की मांग ?

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि 1989 में जब सुप्रीम कोर्ट ने हर्जाना तय किया था, तब 2.05 लाख पीड़ितों को ध्यान में रखा गया था। इन वर्षों में गैस पीड़ितों की संख्या ढाई गुना से अधिक बढ़कर 5.74 लाख से अधिक हो चुकी है। ऐसे में हर्जाना भी बढ़ना चाहिए। यदि सुप्रीम कोर्ट हर्जाना बढ़ाने को मान जाता तो इसका लाभ भोपाल के हजारों गैस पीड़ितों को मिलेगा।

विदेश भागने में सफल रहा था मुख्य आरोपी

7 जून 2010 को भोपाल की एक अदालत ने कंपनी के सात अधिकारियों को दोषी करार दिया गया और दो साल की सजा सुनाई है लेकिन सभी तुरंत जमानत पर रिहा हो गए। उस वक्त यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन को मुख्य आरोपी बनाया गया था, पर एंडरसन हादसे के कुछ ही घंटों बाद विदेश भागने में सफल रहा।

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