शिमला: प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा के सबक के बाद राज्य सरकार सचेत होती नजर आ रही है। सचिवालय में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में और अधिकारियों के साथ बैठक में भविष्य में होने वाले निर्माण पर चर्चा की गई और यह तय किया गया की अब भूगभ्रीय रिपोर्ट के आधार पर ही कोई भी व्यक्ति मकान का निर्माण कर पाएगा।

कड़े कदम उठाना है आवश्यक
ऐसे कड़े कदम उठाना बहुत आवश्यक है क्योंकि आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव और ज्यादा बढ़ेगा जिससे भविष्य में भयंकर नुकसान होने का खतरा है। बैठक में प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, देवेश कुमार, भारत खेड़ा सहित और अधिकारी भी शामिल थे। राज्य में अधिकांश भू – भाग पहाड़ है जो की हमेशा सही सलामत रहने चाहिए। इल्लीगल और डेवलपमेंट के नाम पर की गई कटाई की वजह से पहाड़ कमजोर हो जाते है, जिससे नुकसान होता ही होता है।
बहुमंजिला भवन निर्माण के नियमों को किया जाएगा सख्त
राज्य में अभूतपूर्ण प्राकृतिक आपदा और बाढ़ की स्थिति ने सुरक्षित जीवन को लेकर एक प्रशनचिन्ह खड़ा कर दिया है। इसी को लेकर बैठक में बहुमंजिला भवन निर्माण के नियमों को सख्त किए जाने के ऊपर चर्चा की गई और यह भी बताया गया की तीव्र ढलानों पर निर्माण को वर्जित किया जाएगा। किसी भी निर्माण को करने से पहले उचित गहराई को सुनिश्चित करना ही होगा।
आरसीसी तकनीक के उपर नियम किए जायेंगे तय
आज के समय में आरसीसी निर्माण के आधार पर भवन बनाए जाते है। पिलर आधारित निर्माण को सरकारी व निजी क्षेत्र में सही माना जाता है। जमीन के नीचे अधिक खर्चा ना होने से अभी तक बचा जा रहा था पर अब निर्माण के दौरान अनिवार्य गहराई तक ही खुदाई की जाएगी और जरूरत के अनुसार ही पिलर का इस्तेमाल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह का कहना- “कुल्लू में नदी और नालों के निकट किए गए निर्माण चिंता का विषय”
सीएम सुक्खू ने कुल्लू घाटी में आई भयानक बाढ़ के नदी और नालों के निकट किए गए निर्माण पर चिंता व्यक्त की थी। सीएम ने कहा था की बाढ़ संबंधित घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षित निर्माण नियम तय करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने ये भी कहा की पहाड़ों से बहने वाले पानी के स्वाभिक भाव को नही रोका जाएगा। साथ ही में प्रदेश के हर स्थान पर आवसीय बस्तियों में पानी की निकासी को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा।