Sambit Patra attack Rahul Gandhi मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की अदालत से झटका लगने के बाद भाजपा ने उनपर निशाना साधा है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी की सजा पर रोक न लगाकर न्यायालय ने दिखा दिया है कि वो किसी के दबाव में नहीं आने वाला है। और जानाकारी हासिल करने के लिए इस Latest indian political news के आर्टिकल को पूरा पढ़िए।
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न्यायालय पर दबाव बनाने की कोशिश
संबित पात्रा ने कहा कि बीते दिनों जिस तरह से कोर्ट में कांग्रेस नेताओं ने जाकर अपना शक्ति प्रदर्शन किया और जिस तरह से ट्रायल कोर्ट पर ये दबाव बनाने की कोशिश की गई कि राहुल को साजिश के तहत सजा मिली, उसे अब झटका लग गया है।
भाजपा ने कहा कि कोर्ट के फैसले ने दिखा दिया है कि राहुल गांधी अदालत से ऊपर नहीं है और कोर्ट किसी के दबाव में आने वाला नहीं है।
गांधी परिवार का घमंड टूटा, OBC समाज खुश
भाजपा ने कहा कि इस फैसले से गांधी परिवार का घमंड भी टूट गया है। संबित पात्रा ने आगे कहा कि इस फैसले से ओबीसी समाज से खुशी की लहर है। उन्होंने कहा कि राहुल यह मान रहे थे कि वो इस समाज को गाली देकर भी बचकर निकल जाएंगे, लेकिन यह उनकी गलतफहमी थी।
दूसरे विकल्प देखेगी कांग्रेस
दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा कि वह गुजरात की एक अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि मामले में राहुल की सजा पर रोक लगाने के आवेदन को खारिज करने के बाद अब दूसरे कानूनी विकल्प देख रही है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “हम कानून के तहत अभी भी उपलब्ध सभी विकल्पों का लाभ उठाना जारी रखेंगे। अभिषेक सिंघवी शाम 4 बजे मीडिया को राहुल गांधी की अपील के बारे में जानकारी देंगे।”
राहुल को 2 साल की सजा
बता दें की राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मोदी सरनेम (उपनाम) को लेकर उनके खिलाफ चल रहे मानहानि केस में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई है। राहुल गांधी ने यह टिप्पणी 2019 में कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के दौरान की थी। राहुल गांधी को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। इस दौरान उनपर यह सजा लागू नहीं होगी। इसका मतलब हुआ है कि कोर्ट ने उन्हें एक महीने की जमानत दे दी है। राहुल गांधी को 2 साल की सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता पर भी संकट गहरा गया है।
क्या चली जाएगी राहुल गांधी की सांसद सदस्यता?
धारा 8(4) में यह भी कहा गया है कि दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्यता तीन महीने बाद ही प्रभावी मानी जाती है। हालांकि 2013 में इस धारा को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। इसका मतलब हुआ कि सिर्फ अपील दाखिल करने से कुछ नहीं होगा। सजायाफ्ता सांसद को ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ स्थगन का एक विशिष्ट आदेश सुरक्षित करना होगा। अगर सूरत कोर्ट से लोकसभा सचिवालय को इसकी जानकारी भेजी जाती है और लोकसभा स्पीकर उसे स्वीकार कर लेते हैं तो राहुल गांधी की सदस्या खत्म हो जाएगी। इतना ही नहीं वह सजा खत्म होने के बाद 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
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